ग्रीन हाइड्रोजन ऐसा नया ईंधन लग रहा है, जो भारतीय उद्योग जगत की महत्त्वाकांक्षाओं को शक्ति प्रदान कर रहा है। मंगलवार को हैदराबाद स्थित ग्रीनको ग्रुप और बेल्जियम स्थित जॉन कॉकरिल द्वारा भारत में दो गीगावॉट हाइड्रोजन इलेक्ट्रोलाइजर गीगाफैक्टरी, जो चीन के बाहर सबसे बड़ा कारखाना होगा, निर्माण करने की घोषणा से यह क्षेत्र ध्यान का केंद्र बन गया है।
इस क्षेत्र के विशेषज्ञों ने कहा कि हालांकि ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र में किसी भारतीय कंपनी द्वारा की गई यह नवीनतम घोषणा है, लेकिन यह आखिरी नहीं होगी।
पिछले सप्ताह इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) और रीन्यू पावर ने ग्रीन हाइड्रोजन विकसित करने के लिए एक संयुक्त उद्यम की घोषणा की थी। इसके अलावा आईओसी और एलऐंडटी ने कहा है कि वे हरित हाइड्रोजन के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रोलाइजर का विनिर्माण और बिक्री करने केलिए साथ आएंगी। इसके अतिरिक्त रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) और अदाणी एंटरप्राइजेज ने हाल ही में हरित हाइड्रोजन में अपने प्रवेश की घोषणा की थी। नैशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन और गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया इस क्षेत्र में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए साझेदारी कर रही हैं।
विश्लेषकों का अनुमान है कि आरआईएल, एलऐंडटी और अदाणी ने मिलकर हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं में लगभग छह लाख करोड़ रुपये के निवेश का इंतजाम किया हुआ है।
मुंबई स्थित इक्विनोमिक्स रिसर्च ऐंड एडवाइजरी के संस्थापक और प्रबंध निदेशक जी चोकालिंगम ने कहा ‘अकेले आरआईएल ने ही नवीकरणीय बुनियादी ढांचे में 5.6 लाख करोड़ रुपये निर्धारित किए हुए हैं, जिसमें उत्पादन संयंत्र, सौर पैनल और इलेक्ट्रोलाइजर शामिल हैं। यह ग्रीन हाइड्रोजन की संपूर्ण मूल्य शृंखला पर पकड़ बनाने की रणनीति है।’
इस क्षेत्र के विशेषज्ञों ने कहा कि दूसरी तरफ अदाणी और एलऐंडटी ने ग्रीन हाइड्रोजन पर क्रमश: लगभग 26,000 करोड़ रुपये और 15,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए हुए हैं।
इस क्षेत्र में कंपनियां इसलिए भी जोर दे रही हैं, क्योंकि फरवरी में ग्रीन हाइड्रोजन नीति शुरू करते हुए केंद्र सरकार ने इस क्षेत्र पर बड़ा दांव लगाया है। दिल्ली स्थित काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरन्मेंट ऐंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) के वरिष्ठ कार्यक्रम प्रमुख हेमंत माल्या ने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन डीकार्बनाइजेशन की कुंजी के रूप में उभरा है, क्योंकि यह स्वच्छ ऊर्जा का स्रोत होता है, जो जीवाश्म ईंधन का स्थान ले सकता है, खास तौर पर जहां विद्युतीकरण कोई व्यावहारिक विकल्प न हो। भारत हरित हाइड्रोजन उत्पादन और इस्तेमाल में अगुआ बन सकता है, क्योंकि सरकार के जोर देने से उद्योग द्वारा अधिक निवेश और इस्तेमाल प्रेरित होता है।
इस ग्रीन हाइड्रोजन नीति का लक्ष्य एक ही स्थान पर समयबद्ध मंजूरी की सुविधा के जरिये प्रक्रिया को आसान बनाकर भारत में हरित हाइड्रोजन उत्पादन को सुविधाजनक बनाना है, जिसमें 30 दिनों के लिए अधिशेष अप्रयुक्त नवीकरणीय ऊर्जा की पावर बैंकिंग की अनुमति देना और पावर ग्रिडों को पहुंच प्रदान करना तथा दीर्घकालिक पारेषण शुल्क छूट भी शामिल है। इस क्षेत्र पर नजर रखने वाले विश्लेषकों के अनुसार ग्रीनको-जॉन कॉकरिल की साझेदारी में भी उनके दो गीगावाट वाले संयंत्र में करीब 4,000 करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत पड़ेगी।
