अमेरिका में बैंकिंग और वित्तीय संस्थाओं पर छाए संकट का असर भारतीय आईटी कंपनियों के दूसरी तिमाही के वित्त परिणामों में नजर आ रहा है।
विशेषज्ञों की मानें, तो अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में भी इसका असर ऐसे ही रहेगा। हालांकि आईटी कंपनियों के प्रबंधन के मुताबिक अभी इस बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी। दूसरी तिमाही के परिणामों में कंपनियों का मुनाफा उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा है।
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की अग्रणी आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) का मुनाफा 1,271 करोड़ रुपये ही रहा जो, पिछले साल के मुकाबले 1.5 फीसदी ही ज्यादा है। अगर तिमाही दर तिमाही की बात करे तो भी कंपनी के शुद्ध मुनाफे में 1.5 फीसदी की बढ़ोतरी ही हुई है।
डॉलर में कंपनी के मुनाफे में मात्र 1.2 फीसद की ही बढ़ोतरी हुई है। इस तिमाही में कंपनी ने नियुक्तियों में भी बढ़ोतरी की है। कंपनी ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 51 नए ग्राहक जोड़े हैं। डॉलर के मुकाबले रुपये में आई 10 फीसदी गिरावट के कारण शीर्ष आईटी कंपनियों की हेजिंग की योजनाओं पर भी पानी फिर गया। इससे विनिमय दरों में कमी आने से कंपनियों का मुनाफा घटा है। इसी कारण रुपये के कमजोर होने से आईटी कंपनियों को मिलने वाला मुनाफा भी नहीं मिल पाया है।
टीसीएस को विनिमय दर के कारण लगभग 261 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। थोलोन्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अवनीश वशिष्ठ ने बताया यूरो और पाउंड के मुकाबले डॉलर 12-13 फीसदी गिरा है। इससे टीसीएस को नुकसान हुआ है, क्योंकि यह सबसे ज्यादा देशों में मौजूद है।
इसी तरह इन्फोसिस ने भी पूरे साल के लिए 93.2 करोड़ डॉलर की हेजिंग की थी। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कंपनी को लगभग 135 करोड़ रुपये का मार्केट-टु-मार्केट नुकसान हुआ है। एचसीएल टेक्नोलॉजिज को 97.4 करोड़ रुपये, विप्रो को 28 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। जबकि सत्यम को इसी तिमाही के दौरान लगभग 160 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
जबकि दूसरी तरफ कमजोर होते रुपये के कारण आईटी कंपनियों का मुनाफा भी बढ़ा है। देश की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी इन्फोसिस के मुनाफे में 30.2 फीसदी का मुनाफा हुआ है। साल दर साल के आधार पर भी कंपनी के मुनाफे में 32 फीसदी का इजाफा हुआ है।
हालांकि इन्फोसिस की कमाई में भी तिमाही दर तिमाही के आधार पर 5.3 फीसदी की बढ़ोतरी ही हुई है। जबकि कंपनी का मुनाफा 4 फीसदी बढ़ा है। लेकिन डॉलर में यह बढ़ोतरी महज 3 फीसदी ही है। सत्यम ने भी इसी कारण डॉलर के आधार पर कारोबार करना कम कर दिया था। कंपनी को भविष्य में मार्जिन में लगभग 1 फीसदी की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
एचसीएल टेक्नोलॉजिज के वित्त परिणाम भी कंपनी की उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे हैं। डॉलर में होने वाली कंपनी की कमाई में बदलाव नहीं हुआ है, बल्कि कंपनी के मार्जिन में 1 फीसदी की गिरावट आई है। विप्रो के आईटी कारोबार 36 फीसदी बढ़कर 4,750 करोड़ रुपये हो गया है।
लेकिन डॉलर में यह आंकड़ा 29 फीसदी ही है और तिमाही दर तिमाही के आधार पर मात्र 4 फीसदी ही ज्यादा है। विप्रो के लिए जो चिंता की बात है वह यह है कि तीसरी तिमाही में कंपनी की विकास दर में एक फीसदी से कम की बढ़ोतरी होने की आशंका है।
विश्लेषकों ने बताया कि अमेरिका के आर्थिक हालात देखते हुए माना जा रहा था कि आईटी कंपनियों को चालू तिमाही के दौरान ग्राहकों का टोटा झेलना पड़ सकता है। इस मामले में सबसे दिलचस्प बात यह है कि बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं और इंश्योरेंस से जुड़ी कंपनियों पर ही सब प्राइम संकट की सबसे ज्यादा मार पड़ी है। लेकिन भारतीय आईटी कंपनियों की कमाई में इन कंपनियों की हिस्सेदारी 40 फीसदी है।