मंदी के इस दौर में कंपनियों और कर्मचारियों के जेहन में जो शब्द सबसे ज्यादा उभर रहा है, वह है ‘छंटनी’।
कंपनियां बढ़ती लागत से निपटने के लिए इसे कारगर उपाय मान रही हैं, वहीं कर्मचारी सिर पर लटकी इस तलवार से फिक्रमंद हैं। लेकिन कुल मिलाकर दुनिया भर में इस समय छंटनी की वजह से हायतौबा मची हुई है।
रुला रहे हैं खिलौने भी
खिलौने बनाने के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी मैटल इनकॉर्पोरेशन मंदी के खेल से ही परेशान हो गई। ‘बार्बी डॉल’ और ‘हॉट व्हील्स कार’ बनाकर दुनिया भर के बच्चों के चेहरों पर मुस्कान देने वाली कंपनी को अपने कर्मचारियों के चेहरे ही बेनूर करने पड़ रहे हैं।
मैटल ने दुनिया भर में अपने कर्मचारियों की संख्या 3 फीसद कम करने का फैसला किया है, जिसका मतलब है कि कंपनी को कम से कम 1,000 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाना पड़ेगा। मैटल इसके तहत कर्मचारियों को बर्खास्त करेगी, कुछ पद समाप्त करेगी और कुछ लोगों को सेवानिवृत्ति देगी।
हालांकि इसी साल जून में कंपनी ने प्लास्टिक के दाम और ढुलाई भाड़े में हो रहे इजाफे को देखकर अपने खिलौनों की कीमत बढ़ाई थी, लेकिन इससे भी उसकी आर्थिक सेहत सुधर नहीं सकी। तीसरी तिमाही में कंपनी का बहीखाता भी उम्मीदों से खराब ही रहा। उसकी शुद्ध आय में 1 फीसद से भी कम का इजाफा हुआ।
बैंकों में हालत दुश्वार
मंदी की पहली चोट बैंकों में काम करने वालों को ही झेलनी पड़ी थी। लीमन ब्रदर्स, मेरिल लिंच जैसे निवेश बैंकों के दिवालिया होने से उनके कर्मचारी दर-दर भटकने को मजबूर हुए थे। सिटीग्रुप जैसे वित्तीय संगठन ने भी छंटनी का चाबुक लहराने से परहेज नहीं किया था और कई दूसरे बैंक अपने कर्मचारियों पर यह गाज गिराने वाले हैं।
डीबीएस भी कतार में
दक्षिण पूर्व एशिया के सबसे बड़े बैंक डीबीएस ग्रुप ने भी छंटनी की घंटी बजा दी है। उसने साफ तौर पर कहा है कि अपने कम से कम 6 फीसद कर्मचारियों को वह हर हाल में बाहर करने जा रहा है। यह आंकड़ा तकरीबन 900 कर्मचारी बैठेगा। दरअसल तिमाही में उसके शुद्ध मुनाफे में 38 फीसद की गिरावट आई है, जो अब तक का सबसे बड़ा झटका है।
डीबीएस के मुख्य कार्यकारी रिचर्ड स्टैन्ले ने कहा कि लागत घटाने के लिए ज्यादातर छंटनी सिंगापुर और हाँगकाँग में की जाएगी। यह छंटनी सभी स्तरों पर की जाएगी। डीबीएस के लिए यह सबसे बड़ी छंटनी होगी। इससे पहले 2001 के आर्थिक संकट में उसने 200 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया था।
हालांकि डीबीएस का प्रतिद्वंद्वी यूनाइटेड ओवरसीज अभी मंदी से परहेज कर रहा है। उसने कहा है कि इसे आखिरी हथियार के तौर पर आजमाया जाएगा। यह बात दीगर है कि तिमाही के दौरान इस बैंक के मुनाफे में भी 5 फीसद की गिरावट आई है।
क्रेडिट सुइस पहले ही आगाह कर चुका है कि अगले साल सिंगापुर में ऋण लेने वालों का अकाल पड़ सकता है। वहां मंदी और महंगाई की वजह से लोग कर्ज लेने से परहेज कर रहे हैं। इसके अलावा बैंकों ने भी कर्ज देने के नियम पहले से सख्त कर दिए हैं। ऐसे में बैंकों के कारोबार पर और भी बुरा असर पड़ना लाजिमी है, जिसका नतीजा छंटनी की शक्ल में ही सामने आ सकता है।
सिटीग्रुप फिर घुमाएगा चाबुक
छंटनी के मामले में सबसे आगे रहने वाले सिटीग्रुप ने एक बार फिर कर्मचारियों में कटौती की तैयारी कर ली है। इस साल तकरीबन 23,000 कर्मचारियों से पल्ला झाड़ चुकी इस कंपनी ने निवेश बैंकिंग विभाग समेत तमाम विभागों से लगभग 9,100 कर्मचारियों को कम करने की योजना बनाई है। लेकिन अभी इस बारे में ऐलान नहीं किया गया है।
सूत्रों का मानना है कि सेल्स, ट्रेडिंग और निवेश बैंकिंग के कर्मचारी इस बार छंटनी की भेंट चढ़ सकते हैं। कंपनी पहले भी दिखा चुकी है कि अधिकारियों को बख्शने का भी उसका इरादा नहीं। पिछले महीने ही उसने अमेरिका में 11 इक्विटी रिसर्च विश्लेषकों को हटा दिया था। फिलहाल उसके कर्मचारियों की संख्या 352,000 है।
अमेरिकन एक्सप्रेस हुई धीमी
छंटनी करने वाली प्रमुख कंपनियों की फेहरिस्त में क्रेडिट कार्ड समूह अमेरिकन एक्सप्रेस भी पीछे नहीं है। हाल ही में समूह ने घोषणा की थी वह दुनियाभर में कार्यरत अपने 7,000 कर्मचारियों की छंटनी करेगी। छंटनी की यह संख्या समूह के कुल वैश्विक कर्मचारियों की लगभग दस प्रतिशत है।
समूह लागत में कटौती करने के लिए तमाम कवायद कर रहा है। इनमें प्रबंधन स्तर के अधिकारियों के वेतन में इजाफा फिलहाल टालने, नई भर्तियों पर रोक लगाने, निवेश की योजनाओं को ठंडे बस्ते में डालने और निवेश खर्च में कटौती करने जैसे कदमों पर गंभीरता के साथ विचार किया जा रहा है। इससे पहले समूह ने तीसरी तिमाही में अपने लाभ में 24 प्रतिशत की गिरावट की घोषणा की थी।
इस्पात भी पड़ा नरम
इस्पात कंपनियां मांग में कमी और लागत में इजाफे को देखते हुए अपनी विस्तार परियोजनाओं को धीमा कर रही थी। लेकिन इससे भी खर्च पर अंकुश नहीं लग रहा, तो वे भी छंटनी का डंडा उठा रही हैं। टाटा समूह की ब्रिटिश कंपनी कोरस ने अपने वितरण कारोबार में 400 कर्मचारियों को छांटने का फैसला किया है।
ब्रिटेन और आयरलैंड में कंपनी के करीब 2,400 कर्मचारी नियुक्त हुए हैं। उसके प्रवक्ता ने कहा कि कर्मचारियों के साथ वह मौजूदा हालात के बारे में सलाह मशविरा करेगी। उसे उम्मीद है कि घटते कारोबार को देखकर ज्यादा से ज्यादा कर्मचारी हालात को समझ सकेंगे और खुद ही कंपनी छोड़कर चले जाएंगे।
स्विट्जरलैंड में छंटनी
छंटनी का बेहद बुरा असर स्विट्जरलैंड में देखने को मिल रहा है, जहां बर्खास्तगी की वजह से बेरोजगारों की तादाद बढ़ती ही जा रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सितंबर से वहां बेरोजगारों की संख्या में 1,204 का इजाफा हुआ और यह आंकड़ा कुल 102,319 हो गया है।
स्विस कंपनियां आने वाले महीनों में कर्मचारियों की संख्या और घटा सकती हैं क्योंकि ब्याज दर बढ़ने और वैश्विक मंदी से उनके बहीखाते बिगड़ रहे हैं। विश्लेषक मान रहे हैं कि स्विट्जरलैंड में छंटनी की रफ्तार अभी मंद है और कंपनियों की हालत बिगड़ने पर इसमें अच्छा खासा इजाफा होगा।
क्लैरियंट एजी को दुनिया की सबसे बड़ी रसायन निर्माता कंपनी कहा जाता है। वह भी अपने 2,200 कर्मचारियों को कम करने जा रही है। कंपनी का कहना है कि मांग में कमी आने पर उसके सामने कोई दूसरा चारा नहीं बचा है।