बीएस बातचीत
बाजार कोविड-19 की दूसरी लहर से हुए नुकसान के आकलन के लिए जून तिमाही आय पर नजर लगाए हुए हैं। इन्वेस्को म्युचुअल फंड में मुख्य निवेश अधिकारी ताहिर बादशाह ने पुनीत वाधवा के साथ साक्षात्कार में बताया कि भारत का आय चक्र अगले तीन-चार साल में सुधरेगा जिससे मौजूदा मूल्यांकन को मदद मिल सकती है। बातचीत के मुख्य अंश:
बाजारों के लिए आगामी राह कैसी है?
बाजार में रिस्क-रिवार्ड संतुलित दिख रहा है। दूसरी लहर के बाद अल्पावधि में घरेलू और वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के फिर से खुलने से वृद्घि को लेकर भरोसा बढ़ा है। हालांकि, कुछ जोखिम भी दिख रहे हैं, जैसे अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा अपनी प्रोत्साहन कार्यक्रम क्यूई में नरमी लाने, जिंस कीमतों और मुद्रास्फीति में तेजी और तीसरी लहर का खतरा। इनमें से कोई भी बाजारों को कमजोर बना सकता , खासकर मौजूदा मूल्यांकन के संदर्भ में। स्थानीय कारकों के लिहाज से भी अगली दो तिमाहियों में बाजार दूसरे लॉकडाउन के दौरान कंपनियों की आय के आकलन, मॉनसून की चाल और दूसरी लहर की वजह से ग्रामीण खर्च को होने वाले संभावित नुकसान पर निर्भर करेंगे।
मिड-कैप, स्मॉल-कैप पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
जहां संपूर्ण आर्थिक और बाजार हालात मझोले बाजार सेगमेंट के लिए लगातार बेहतर प्रदर्शन के लिहाज से अनुकूल है, लेकिन उनके प्रदर्शन मुख्य सूचकांकों के मुकाबले मूल्यांकन अंतर पिछले 12 महीनों में काफी ज्यादा रहा है। हमारा मानना है कि बैंकों, उद्योग और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों से शेयर आने वाले महीनों में इस अंतर को दूर करने में मदद कर सकेंगे। हम वाहन, इन्फ्रास्ट्रक्चर-संबंधित गतिविधियों और हेल्थकेयर में कुछ खास बॉटम-अप अवसरों को लेकर भी आशान्वित हैं।
क्या आप अगले कुछ महीनों के दौरान आय डाउनग्रेड की भी आशंका देख रहे हैं?
हालांकि दूसरी लहर की वजह से बाजारों ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया है, लेकिन वैश्विक-केंद्रित व्यवसायों, जैसे जिंस और प्रौद्योगिकी से प्राप्त होने वाली आय इस कमी की भरपाई कर सकती है। वर्ष के शेष समय में घरेलू आर्थिक सुधार की रफ्तार भी वर्ष के लिए अस्थिरता की सीमा का आकलन करने में मददगार होगी। दीर्घावधि में महामारी-बाद आर्थिक सुधार, निर्माण और इन्फ्रास्ट्रक्चर में तेजी और सरकारी नीति/सुधार भी मुख्य आय निर्धारक होंगे। हमें अगले तीन-चार साल में भारत के आर्थिक चक्र में सुधार होने की संभावना है, जिससे मौजूदा मूल्यांकन को मदद मिल सकती है।
भारतीय उद्योग जगत ने बढ़ती उत्पादन लागत का भार ग्राहकों पर डालना शुरू किया है। क्या इससे खपत और उससे संबंधित शेयर प्रभावित होंगे?
भारत पिछले कुछ वर्षों के दौरान अपेक्षाकृत नरम मुद्रास्फीति के परिवेश वाला क्षेत्र रहा है और इसलिए अल्पावधि में ऊंची मुद्रास्फीति के प्रति सहन करने की क्षमता ऊंची होनी चाहिए। अगर यह माना जाए कि भारत तीसरी लहर से बचने और टीकाकरण में अच्छी तेजी लाने में सक्षम है तो कंपनियों के लिए मांग की चिंता किए बगैर लागत मुद्रास्फीति का सामना करना आसान होगा। हाल में प्रभावित उपभोक्ता डिस्क्रेशनरी में अब सुधार आने की संभावना है। इसके अलावा, लॉकडाउन की अवधि के बाद आपूर्ति संबंधित दबाव भी वैश्विक रूप से दूर होगा।
क्या धातु शेयरों में अभी भी खरीदारी की जानी चाहिए?
इस क्षेत्र से संबंधित ताजा घटनाक्रम से धातु उत्पाद कीमतों में देर से दर्ज की गई वृद्घि पर विराम लग सकता है। क्षेत्र का मध्यावधि परिदृश्य अभी भी अनुकूल आपूर्ति-मांग परिदृश्य का संकेत दे रहा है जिससे धातु जिंसें मजबूत बनी रह सकती हैं, लेकिन मूल्य निर्धारण की गति को अब ज्यादा मापा जाएगा। कई धातु कंपनियां कर्ज घटाने पर जोर दे सकती हैं।