एनटीपीसी की ओडिशा स्थित तलचर परियोजा के बॉयलर टर्बाइन जेनरेटर (बीटीसी) ठेके के लिए जुलाई 2018 में बोली आयोजित की गई थी। इसमें बीएचईएल बोली लगाने वाली एकमात्र कंपनी थी। यह देश में ताप बिजली परियोजनाओं की खत्म होती प्रासंगिकता का एक प्रमुख उदाहरण है।
इस परियोजना के लिए ओडिसा सरकार ने पर्यावरण संबंधी मंजूरी देने में देरी की, जो महज एक साल पहले मिल सकी। साथ ही बीएचईएल की बोली पर फैसला लेने में भी देश की सबसे बड़ी बिजली उत्पादन कंपनी ने अनिच्छा दिखाई, जो कोयला आधारित बिजली उत्पादन से अपने हाथ खींच रही है।
एनटीपीसी ने मुख्य संयंत्र के लिए टेंडर जारी किया था, जिसमें तलचर परियोजना के तीसरे चरण में 660 मेगावॉट की दो इकाइयों के लिए आपूर्ति और इंस्टालेशन का काम करना था। यह योजना दो मौैजूदा इकाइयों को बंद करके लागू की जानी थी, जो पुरानी तकनीक पर आधारित हैं। बीएचईएळ ने इसके लिए बोली दाखिल की, जो 14 मार्च 2018 को खुली। लेकिन औपचारिक रूप से ऑर्डर नहीं दिया गया। बीएचईएल के प्रवक्ता ने ई-मेल से भेजे जवाब में कहा, ‘तलचर परियोजना के बारे में एनटीपीसी को अभी अंतिम फैसला करना बाकी है।’
एनटीपीसी के एक अधिकारी ने देरी को लेकर कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन कहा, ‘दोनों जिम्मेदार कंपनियां हैं, जो साथ मिलकर भारत के बिजली क्षेत्र की वृद्धि में अहम भूमिका निभा रही हैं। हमने वर्षों से साथ काम किया है और समाधान निकालने के लिए विभिन्न स्तर पर चर्चा हो रही है।’
