सरकारी क्षेत्र की कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (बीपीसीएल) विनिवेश की ओर बढ़ रही है। इस बीच कंपनी के शीर्ष पद भी रिक्त होने जा रहे हैं। कंपनी के चेयरमैन तथा प्रबंध निदेशक और रिफाइनरी परिचालनों के प्रभारी निदेशक के पद अगस्त के अंत तक रिक्त होने जा रहे हैं।
बोर्ड में शीर्ष कार्यकारियों के दो पद जिसमें चेयरमैन तथा प्रबंध निदेशक डी राजकुमार और निदेशक (रिफाइनरीज) आर रामचंद्रन 31 अगस्त को निगम से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। दिलचस्प है कि पब्लिक इंटरप्राइजेज सलेक्शन बोर्ड (पीईएसबी) ने अगस्त 2019 में दोनों पदों को भरने के लिए नौकरी की अधिसूचना जारी की थी। हालांकि पात्र उम्मीदवार के चयन की प्रक्रिया इस साल के आरंभ में रोक दी गई क्योंकि पहले उम्मीद की जा रही थी कि 2019-20 की चौथी तिमाही या 2020-21 की पहली तिमाही में कंपनी का विनिवेश पूरा हो जाएगा।
कोविड-19 और उसके बाद लगाए गए लॉकडाउन से विनिवेश प्रक्रिया में देरी हो रही है। ऐसे में लाख टके का सवाल है कि क्या कंपनी निजी निवेशकों को लुभाने के बीच नेतृत्व विहीन रहेगी। सरकारी सूत्रों ने संकेत किया कि दो कार्यकारियों को विस्तार दिया जा सकता है क्योंकि कंपनी निर्णायक दौर से गुजर रही है। पेट्रोलियम मंत्रालय के प्रवक्ता ने बिजनेस स्टैंडर्ड के सवालों पर प्रतिक्रिया नहीं दी।
यदि विस्तार नहीं दिया जाता है तो सरकार एक अंतरिम चेयरमैन नियुक्त करने पर भी विचार कर सकती है। सरकार ने ऐसा ही कदम 2017 में एयर इंडिया के मामले में भी उठाया था, जब राजीव बंसल को पहली बार तीन महीने के लिए इसका प्रमुख बनाया गया था और अश्विनी लोहानी को भारतीय रेलवे का प्रभार सौंपा गया था। अंतरिम चेयरमैन और प्रबंध निदेशक नियुक्त किए जाने की स्थिति में मौजूदा मानव संसाधन निदेशक के पद्माकर वर्तमान बोर्ड सदस्यों में वरिष्ठतम हैं।
ऐसे निर्णायक चरण में कंपनी के प्रमुख को इस तरह का विस्तार देने की भी उदाहरण है। 2016 में जब एसबीआई में उसके पांच सहायक बैंकों और भारतीय महिला बैंक का विलय किया जाना था, तब तत्कालीन चेयरमैन अरुंधती भट्टाचार्य को करीब एक वर्ष का सेवा विस्तार दिया गया था। जुलाई के अंत में सरकार ने लगातार तीसरी बार बोली जमा कराने की तारीख को आगे बढ़ाकर 30 सितंबर कर दिया है।
