अमेरिका और यूरोप में छाई आर्थिक मंदी की मार झेल रही भारतीय कंपनियों को बचाने के लिए केंद्र सरकार ने उद्योगों को हर संभव मदद देने की घोषणा की है।
सरकार ने हाल ही में बैंकों को इस मंदी की मार से बचाने के लिए रेपो रेट में कमी करने जैसे कदम उठाएं हैं।विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) विकसित करने पर मंत्रियों ने कर दर भी कम करने की घोषणा की है। इसके बाद निर्यातकों को राहत देने के बारे में भी मंत्रिमंडल विचार कर रहा है।
स्टॉक मार्केट को अपनी चपेट में लेने के बाद मंदी अब देश की अर्थव्यवस्था चलाने वाले उद्योगों तक अपने पैर पसार चुकी है। कारोबारियों के सामने तरलता की कमी जैसी परेशानियां हैं। इसके बाद उद्योग क्षेत्र के कई बड़े संगठन रियायत देने की सिफारिश करने के लिए सरकार से मिलने की योजना बना रहे हैं।
शुक्रवार को ईजीओएम की बैठक के बाद संकेत मिले हैं कि सरकार इस बारे में पहले से ही विचार कर रही है। बैठक के बाद कुछ मंत्रियों ने कहा है कि अभी जो कदम उठाने के बारे में सोचा जा रहा है, आम दिनों में उनसे बचा ही जाता है।
ईजीओएम के प्रमुख और वरिष्ठ प्रबंधक प्रणब मुखर्जी ने मीटिंग के बाद बताया, ‘आर्थिक हालात के हिसाब से यह बहुत ही मुश्किल समय है और हमें कारोबारियों की चिंताओं का समाधान भी करना है। इसीलिए अब राजनीतिक स्तर पर कुछ फैसले लेने होंगे।’
ईजीओएम की बैठक में सेज बनाने के लिए ऋण की दरों में कटौती करने का फैसला किया है। अब सेज के लिए बैंकों से ऋण लेते समय जमीन के अधिग्रहण के अलावा बाकी सभी कामों के लिए बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने वाली कंपनियों की तरह ही माना जाएगा।
वाणिज्य मंत्रालय कि एक अधिकारी ने बताया, ‘क्षेत्र के भीतर ही विकसित की जाने वाली सुविधाओं के लिए ही यह सुविधा दी गई है। भूमि अधिग्रहण के लिए यह सुविधा नहीं दी जाएगी।’
यह एक बहुत बड़ा बदलाव है।
सितंबर 2006 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सेज और रियल एस्टेट को बैंक के्रडिट देने के लिए बराबर तवाो दी थी। इस कारण ऋण की ब्याज दरों में 2 फीसदी का इजाफा हुआ है। इसके अलावा बैंक सेज के लिए ऋण मुहैया कराने में असमर्थ थे, क्योंकि जो रकम उन्होंने रियल एस्टेट के लिए रखी थी वह खर्च हो चुकी थी।
ऐसे ही एक फैसले में ईजीओएम ने सेज के लिए निर्धारित अधिकतम क्षेत्र की सीमा 5,000 हेक्टेयर में भी छूट देने का फैसला दिया है। इस फैसले के तहत ही अदानी समूह को गुजरात में अपनी तीन सेज परियोजनाओं को एकीकृत करने की इजाजत मिल गई है। यह सेज अब 7,000 हेक्टेयर में स्थापित किया जाएगा।
पिछले साल नंदीग्राम में कर मुक्त केमिकल सेज के विरोध को देखते हुए ईजीओएम ने यह क्षेत्र सीमा तय की थी। अधिकारियों ने बताया कि वाणिज्य मंत्रालय जल्द ही वित्त मंत्रालय से मिलकर निर्यातकों को छूट देने के बारे में बात करने वाला है। उन्हें उम्मीद है कि इससे मंदी से निर्यातकों को बचाने में मदद मिलेगी।