केंद्र सरकार वाटर प्यूरीफायर, मिक्सर ग्राइंडर एवं अन्य घरेलू उपकरणों की मरम्मत एवं रखरखाव संबंधी ग्राहक अधिकारों की रक्षा के लिए कदम उठा रही है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एलजी, सैमसंग, हैवेल्स, फिलिप्स, सोनी, ब्लूस्टार, पैनासोनिक आदि प्रमुख कंज्यूमर ड्यूरेबल्स कंपनियों को अपने सर्विस सेंटर और मरम्मत नीतियों के बारे में जानकारी की एक साझा सूची तैयार करने के लिए कहा है।
इस मामले से अवगत दो वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने कहा कि सरकार के इस कदम से उपभोक्ताओं के अधिकार सुरक्षित होंगे। ऐसे डेटा तक उनकी आसान पहुंच सुनिश्चित होगी और उत्पादों का ‘पूर्ण स्वामित्व’ मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि इसमें कम कीमत पर उत्पादों की मरम्मत का अधिकार भी शामिल हैं। यह खबर ऐसे समय में आई है जब मंत्रालय घरेलू उपकरण जैसे उत्पादों की मरम्मत के लिए उपभोक्ताओं की दैनिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए एक केंद्रीकृत पोर्टल तैयार करने की दिशा में काम कर रहा है।
उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘हम आरओ, गैस स्टोव और रेफ्रिजरेटर सहित बुनियादी घरेलू उपकरणों की मरम्मत एवं रखरखाव के लिए एक एकीकृत पोर्टल तैयार करने जा रहे हैं। बाद में हम इसका विस्तार अन्य कंज्यूमर ड्यूरेबल उत्पादों के लिए भी करेंगे।’ सिंह ने कहा कि सरकार की मंशा दखल देने की नहीं है।
सरकार चाहती है कि कंपनियां उत्पादों की मरम्मत एवं रखरखाव के लिए सर्विस सेंटर एवं मूल्य दायरा सहित बुनियादी जानकारी सार्वजनिक करे ताकि उपभोक्ताओं को सहूलियत हो सके। मंत्रालय ने शुक्रवार को इस संबंध में 23 कंपनियों को पत्र भेजा है। विचार यह है कि सभी उपलब्ध जानकारियों को एकत्रित किया जाए ताकि उपभोक्ता को परेशानी न हो।
घरेलू उपकरण का वारंटी कार्ड खो जाने के बाद भी उपभोक्ता को उसकी मरम्मत एवं रखरखाव में कोई समस्या न हो। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि समय पर मरम्मत एवं रखरखाव के साथ उत्पादों के सर्वोत्तम उपयोग से ई-कचरे की मात्रा को कम करने में भी मदद मिलेगी।
फिलहाल उपभोक्ताओं को खराब उत्पादों की मरम्मत अथवा उसे बदलने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह प्रक्रिया काफी बोझिल है और इसलिए उपभोक्ताओं को अपने उपकरणों को ठीक कराने के लिए स्थानीय अथवा आसपास के स्टोर पर जाना पड़ता है। साथ ही उन्हें मरम्मत की बुनियादी सेवा के लिए भी अधिक खर्च करना पड़ता है।
सिंह ने कहा, ‘इस पोर्टल के पीछे हमारा विचार कन्वर्जेंस मॉडल पर आधारित है। हमने अपनी राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर इसका प्रयोग किया था जहां अब तक 654 कंपनियां जुड़ चुकी हैं।’ समयबद्ध तरीके से शिकायतों के निपटान के लिए इससे पहले भी मंत्रालय ने ऐपल, सोनी, एलजी जैसी कंज्यूमर ड्यूरेबल कंपनियों को उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा स्थापित हेल्पलाइन से जुड़ने के लिए कहा था।
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, सरकार ने न केवल बड़ी कंपनियों बल्कि छोटी कंपनियों को भी इसका अनुपालन करने के लिए कहा था क्योंकि जटिल प्रक्रियाओं के कारण उपभोक्ताओं की शिकायतों का समय पर समाधान नहीं किया गया था।
