सरकार ने सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (CEL) की नीलामी को रद्द करने का फैसला किया है। सरकार ने नीलामी के लिए बोली जीतने के बाद भी इसे रद्द करने का ऐलान किया है। बुधवार को सरकार ने आधिकारिक तौर पर इसकी घोषणा की। सरकार ने नीलामी जीतने वाली कंपनी के बारे में चल रहे केस को लेकर इस नीलामी को रद्द किया है। दरअसल, CEL के लिए सबसे ऊंची बोली लगाने वाली दिल्ली की कंपनी नंदल फाइनेंस एंड लीजिंग (Nandal Finance & Leasing) ने अपने खिलाफ चल रहे केस के बारे में पहले जानकारी साझा नहीं थी।
नंदल फाइनेंस के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ एपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) में दिवालिया घोषित किए जाने का केस चल रहा है। वहीं, सरकार ने पिछले साल नवंबर में इस CEL की नीलामी को मंजूरी दी थी। अब सरकार ने माना है कि नंदल फाइनेंस के खिलाफ NCLAT में चल रहा केस बिडिंग प्रक्रिया में शामिल होने की शर्तों के खिलाफ है।
केस चलने के बाद भी नीलामी में कैसे शामिल हुई कंपनी?
नंदल फाइनेंस एंड लीजिंग के खिलाफ रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ (RoC) ने मनी लॉन्डरिंग के आरोप में तालाबंदी का केस किया है। लेकिन कानूनी प्रक्रिया चलने के बाद भी कंपनी CEL की नीलामी के लिए शॉर्टलिस्ट हो गई. जबकि नियमों के अनुसार किसी भी कानूनी केस में फंसी कंपनी को नीलामी के लिए बोली लगाने की अनुमति नहीं मिलती है। कंपनी न तो सिर्फ नीलामी में शामिल हुई बल्कि नवंबर 2021 में उसने यह नीलामी जीत भी ली थी।
कैसे सामने आया मामला?
नवंबर में जब CEL के लिए नंदल फाइनेंस कंपनी की 210 करोड़ रुपये की बोली को स्वीकार किया गया था तो CEL के कर्मचारी संगठन ने सबसे पहले इसका विरोध किया। इस नीलामी को लेकर कर्मचारी संगठन ने दो मुद्दों के आधार पर विरोध किया था। पहला, कंपनी के खिलाफ केस चल रहा था। दूसरा, CEL के लिए 190 करोड़ रुपये की बोली लगाने वाली दूसरी कंपनी JPM इंडस्ट्रीज लिमिटेड और नंदल फाइनेंस में एक डायरेक्टर दोनों कंपनी में समान पद थे।
भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (DIPAM) ने नंदल फाइनेंस एंड लीजिंग के खिलाफ लगाए आरोप में से केस चलने के आरोप को सही माना और नंदल फाइनेंस एंड लीजिंग की बिड को रद्द किया जा रहा है।
