तेजी से बढ़ रहे उद्यमों पर आधारित ‘भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई)-डेलोइट कन्वेंशन’ के दौरान गुजरात के लघु एवं मझोले उद्योग (एसएमई) ने यह स्वीकार किया कि उनके लिए वित्त की व्यवस्था करना एक बड़ी चुनौती जैसा है। इन उद्यमों ने पारदर्शिता के अभाव को लेकर भी अपनी चिंता जताई।
डेलोइट टच तोहमत्सु इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के वरिष्ठ प्रबंधक राजीव भट्ट ने कहा, ‘बड़ी संख्या में लघु उद्योगों का यह मानना है कि निजी इक्विटी फंड्स, भागीदारी और अन्य उपायों से वित्त की व्यवस्था करने में पारदर्शिता का अभाव एक बड़ी बाधा है। इस सम्मेलन में कई उद्यमियों ने लेखा संबंधी मामलों में पारदिर्शता बढ़ाए जाने की बात कही।’
सीआईआई और डेलोइट ने हाल ही में एक सर्वेक्षण कराया था। गुजरात के एसएमई सेगमेंट में ‘तेजी से बढ़ रहे उद्यमों’ पर कराए गए इस सर्वेक्षण में लघु उद्योगों के त्वरित विकास के स्थाई तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
इसमें गुजरात के एसएमई बहुल क्षेत्रों में फार्मास्युटिकल, परिधान, सामान, रसायन, उर्वरक, रत्न एवं आभूषण, वाहन कलपुर्जे और प्लास्टिक जैसी 50-60 इकाइयों पर अध्ययन किया गया। भट्ट ने कहा, ‘हमने तीन प्रमुख मुद्दों इनकी विकास रणनीति, रणनीतिक फैसले और इनकी चुनौतियों को लेकर इन इकाइयों पर अध्ययन किया। हमने इन क्षेत्रों में इनसे कुछ विकल्पों को प्राथमिकता दिए जाने को कहा है।’
तेजी से बढ़ रहे उद्यमों पर प्रकाश डालते हुए भट्ट ने कहा कि केवल ऐसी इकाइयों, जिनका कारोबार 150 करोड़ रुपये से 400 करोड़ रुपये का है और उनकी विकास दर 10-15 फीसदी है तथा इनका विकास दर लक्ष्य 20 फीसदी है, पर इस सर्वेक्षण के लिए विचार किया गया।
उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा 50 करोड़ रुपये के निवेश और संयंत्र वाली वाली इकाइयों को भी तेजी से बढ़ रहे उद्यमों के तौर पर परिभाषित किया गया है क्योंकि वे एसएमई सेगमेंट में निजी क्षेत्र के कार्य स्थलों का तकरीबन 70 फीसदी रोजगार मुहैया कराती हैं।’
इस सर्वेक्षण में लघु इकाइयों से संबद्ध कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए। सर्वेक्षण में 70 फीसदी इकाइयों का कहना था कि विकास रणनीति के बीच राजस्व उच्च प्राथमिकता है। वहीं इस सर्वेक्षण में शामिल 78 फीसदी इकाइयों ने गुणवत्ता में सुधार लाए जाने और रणनीतिक फैसले लिए जाने को प्राथमिकता दी। इसके अलावा इस सर्वेक्षण में शामिल इकाइयों ने उद्यमों के लिए वित्त की व्यवस्था करने में आने वाली दिक्कतों को भी सबसे बड़ी चुनौती करार दिया।