जहाज कंपनियों की तो हालत खस्ता है, लेकिन जहाज तोड़ने वाली कंपनियों के मंदी ने वारे न्यारे कर दिए हैं।
दरअसल मंदी के चलते इन कंपनियों को पुराने जहाज बेहद कम कीमत पर मिल जा रहे हैं। इसलिए जहाज तोड़ने वालों के लिए कच्चे माल यानी पुराने जहाजों पर लागत काफी कम हो गई है। इसकी वजह से इन कंपनियों को मुनाफे के अच्छे आसार दिख रहे हैं।
ड्राई बल्क कैरियर्स की भाडा दर के वैश्विक मानक ‘बाल्टिक ड्राई इंडेक्स’ में 93 फीसदी की गिरावट आई है। यह सूचकांक लगभग 6 महीने पहले 11,793 अंक पर था। विश्लेषकों का मानना है कि यह गिरावट जहाज मालिकों को अपने बेड़े का 20 फीसदी हिस्सा निष्क्रिय रखने को विवश कर सकती है।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के मुख्य महाप्रबंधक हरीश पटनायक ने कहा, ‘यह शिप-ब्रेकरों (जहाज तोड़ने के कारोबार में लगे लोग) के लिए कमाई करने का एक अच्छा मौका है।’ एसबीआई उन शिप-ब्रेकरों को लेटर्स ऑफ क्रेडिट मुहैया कराता है जो विदेशी जहाज मालिकों से पुराने जहाज खरीदते हैं।
एसबीआई के मुताबिक रद्दी यानी पुराने माल की कीमतों और रुपये की कीमतों में कमी आने से शिप-ब्रेकरों को दो महीने पहले खरीदे गए पोतों पर 3-15 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है।
पटनायक ने कहा, ‘अब जल्द ही शिप ब्रेकर इस नुकसान की भरपाई कर अच्छा मुनाफा कमाने की तैयारी कर रहे हैं, क्योंकि भाड़ा दर निचले स्तर पर बनी हुई है।’
फिलहाल पुराने जहाज की कीमत 250 डॉलर प्रति टन है। जहाज तोड़ने पर 1000 रुपये प्रति टन की लागत आती है। ये रद्दी माल या कबाड़ बाजार में लगभग 20,000-22,000 रुपये प्रति टन की कीमत पर बेचे जा रहे हैं जिससे उन्हें 40 फीसदी से अधिक का न्यूनतम मार्जिन हासिल हो रहा है।
दो महीने पहले तक ये पुराने जहाज 750 डॉलर प्रति टन के हिसाब से उपलब्ध थे और रद्दी माल कबाड़ 30,000 रुपये प्रति टन की दर से बेचा जा रहा था। स्क्रेपिंग यानीरद्दी माल की प्रक्रिया में लगभग 6 महीने का समय लगता है और इस अवधि में रुपये की कीमत में लगभग 25 फीसदी तक की गिरावट आई।
इसके अलावा पिछले दो-तीन महीनों में कबाड़ की कीमतों में 27 फीसदी तक की कमी आई है जिससे शिप ब्रेकरों को पुराने जहाजों की खरीद को लेकर बुरे वक्त का सामना करना पड़ रहा है।
इस उद्योग से जुड़े शीर्ष संगठन ‘शिप ब्रेकर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ को पिछले साल की तुलना में चालू वित्त वर्ष के दौरान तोड़े जाने वाले जहाजों के कुल वजन में तीन गुना इजाफा होने की संभावना लग रही है।
वाह..वाह मंदी
ड्राई बल्क कैरियरों की भाड़ा दर के वैश्विक मानक में 93 फीसद की कमी आई है। इससे 20 फीसद जहाज बेकार
शिप ब्रेकरों को सस्ते में मिल जा रहे हैं पुराने जहाज
तोड़ने की लागत से 20 गुना कीमत पर बिकता है कबाड़