जहां ज्यादातर भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी सेवाएं देने वाली कंपनियों ने दूरसंचार उपकरण वेंडरों में बड़ा निवेश कर रखा है।
वहीं घरेलू दूरसंचार टेलीकॉम सॉफ्टवेयर उत्पाद बनाने वाली कंपनी सुबेक्स कई प्रमुख दूरसंचार सेवाएं मुहैया कराने वाली वैश्विक कंपनियों के साथ काम करती है।
बेंगलुरु मुख्यालय वाली सुबेक्स के संस्थापक-चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक और नैसकॉम की उत्पाद मंच के चेयरमैन सुभाष मेनन के साथ दूरसंचार क्षेत्र और भारतीय आईटी उद्योग पर वैश्विक मंदी के असर के बारे में बातचीत की विभु रंजन मिश्रा ने। उनकी बातचीत के प्रमुख अंश:
वैश्विक दूरसंचार क्षेत्र के लिए कितना बुरा दौर है?
2001 की परिस्थितियों की तरह नहीं, ज्यादातर दूरसंचार सेवा मुहैया कराने वाली कंपनियां इस समय अपनी क्षमता के बराबर काम नहीं कर पा रही हैं। वे बाहर से मिलने वाली वित्तीय सहायता पर बहुत ज्यादा निर्भर नहीं हैं। उन पर सबसे ज्यादा वैश्विक मंदी का असर तभी पड़ सकता है जब दूरसंचार सेवाओं के इस्तेमाल में अहम गिरावट हो। आज फोन एक जरूरत बन गया है।
सच तो यह है कि संकट के समय में लोग ज्यादा कॉल करते हैं और कॉलों की संख्या में भी इजाफा होता है। इसलिए जब तक टेलीफोन सेवाओं के इस्तेमाल में कमी नहीं आती, दूरसंचार कंपनियों पर इसका असर नहीं पड़ने वाला।
लेकिन कुछ दूरसंचार कंपनियों को वित्तीय संकट के कारण विकास में कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है?
दूरसंचार कंपनियां फंड पर बहुत ज्यादा निर्भर नहीं करतीं। उदाहरण के लिए एटीऐंडटी ने रातोरात अपने कर्मिशल पेपर बेच कर पैसा उगाहया था। कंपनी ने यह पैसा कार्यशील पूंजी के लिए लिया था। इसे भी अमेरिकी सरकार की दखल के साथ सुलझा लिया गया है।
फिर क्यों ज्यादातर आईटी कंपनियां, जिन्होंने दूरसंचार क्षेत्र में निवेश किया हुआ है, मंदी की शिकायत कर रही हैं? इनमें से कुछ का कहना है कि दूरसंचार क्षेत्र के उनके ग्राहक करारों पर फिर से मोल-भाव करने की बात कर रहे हैं?
ज्यादातर आईटी सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनियों दूरसंचार उपकरण मिर्नाता कंपनियों के साथ काम करते हैं, जैसे कि एरिक्सन, नोकिया और सीमेंस। हार्डवेयर के सेगमेंट में हम पहले ही पिछली कुछ तिमाहियों में थोड़ा असर देख चुके हैं, जहां दूरसंचार कंपनियों की ओर से किए जाने वाले करारों में कमी आई है।
अभी समस्या दूरसंचार उपकरण निर्माताओं के साथ है, न कि दूरसंचार सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनियों के साथ। सुबेक्स का उपकरण वेंडरों के साथ कोई लेना-देना नहीं है। हम अपने लाइसेंस सीधे-सीधे दूरसंचार सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनियों को बेचते हैं।
क्या दूरसंचार सेवाएं देने वाली कंपनियां इन परिस्थितियों में भी अपनी विस्तार योजनाओं के साथ आगे बढ़ने वाली हैं?
दूरसंचार की ज्यादातर कंपनियां अपनी विस्तार योजनाओं को लेकर काफी उत्तेजित हैं। ब्रिटिश टेलीकॉम जो हमारी सबसे बड़ी ग्राहक भी है, वह अपनी नई योजना फाइबर टू दी कैबिनेट (एफटीटीसी) के साथ सामने आई है। वे एफटीटीसी योजना को पूरे ब्रिटेन में लगभग 500 करोड़ पाउंड के निवेश के साथ शुरू करना चाहती है, जिसके लिए पायलट परियोजना को शुरू किया जा चुका है।
अगले चरण में वे इस योजना को फाइबर टू दी होम (एफटीटीएच) तक लेकर जाना चाहती है, जिसमें लगभग 2900 करोड़ पाउंड का खर्च है। इसी तरह एटीऐंडटी भी यू-वर्स परियोजना को तेजी से आगे बढ़ा रही है।
आप किस तरह की संभावनाएं देख रहे हैं?
हमारे पास कई तरह के अवसर हैं। जब वे कंपनियां विभिन्न जगहों पर अपने काम को शुरू करेंगी, तब उन्हें प्रावधान, एक्टिवेशन और स्टॉक प्रबंधन की जरूरत पड़ेगी और डैटा की शुध्दता को जांचने की भी जरूरत पड़ेगी ताकि यह जाला जा सके कि सभी नेटवर्क परिसंपत्तियां सही तरीके से इस्तेमाल हो रही हैं। इसलिए हमें कई संभावनाएं दिखाई दे रही हैं। लेकिन यह सारा निवेश कई सालों में किया जाएगा।