ऑटोमोबाइल क्षेत्र की दिग्गज कंपनी टाटा मोटर्स ने अपने जमशेदपुर संयंत्र में लगभग 700 कर्मचारियों की छंटनी क्या की समूचे ऑटो क्षेत्र ने कंपनी के नक्शे कदम पर चलने की तैयारी कर रही हैं।
देश की सबसे बड़ी ट्रेड यूनियन को भी अब इस क्षेत्र और छंटनी होने का डर सताने लगा है।अखिल भारतीय कारोबारी यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी) और सेंटर ऑफ इंडियन टे्रड यूनियन (सीआईटीयू) जैसी पुराने संगठनों का भी मानना है कि मंदी के कारण कई कंपनियों ने छंटनी भी शुरू कर दी है।
संगठन में मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स, बजाज ऑटो और हीरो होंडा समेत कई ऑटो कलपुर्जे बनाने वाली कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल हैं।
सेंटर ऑफ इंडियन टे्रड यूनियन (सीआईटीयू) के अध्यक्ष एम के पंढेर ने बताया , ‘ऑटो क्षेत्र में कुल श्रमिकों के लगभग 55-60 फीसदी श्रमिक अस्थायी हैं। 80 के दशक में यह आंकड़ा मात्र 40 फीसदी ही था। ऑटो क्षेत्र में मात्र 20 लाख कर्मचारी ही स्थायी तौर पर नियुक्त किए गए हैं।’ समूचे ऑटो क्षेत्र में कर्मचारियों की संख्या लगभग 50 लाख ही है।
सीआईटीयू ने बताया, ‘अपने सहायक संगठनों से पता चला है कि कई कंपनियां अस्थायी कर्मचारियों की छंटनी करने की योजना बना रही हैं। हालांकि यह सब एक टाटा मोटर्स की तरह एक झटके में नहीं होगा। ऑटो कंपनियां हफ्ते दर हफ्ते 10-12 कर्मचारियों की छंटनी करेंगी।’
सीआईटीयू के अधीन लगभग 4000 टे्रड यूनियन हैं और 34 लाख सदस्य हैं। ऑटो उद्योग में छंटनी की मार उन्हें सता रही है।