मोबाइल बैंकिंग के बारे में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशानिर्देश जारी होने के बाद इस मसले पर गहमागहमी बढ़ गई है।
पिछले महीने ही आरबीआई ने मोबाइल बैंकिंग के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे। इसके फौरन बाद मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों और बैंकों की बड़ी भीड़ मोबाइल बैंकिंग मुहैया कराने में जुट गई है। हालांकि बैंक पहले भी मोबाइल पर कुछ सेवाएं देते थे, लेकिन यह महज खातों की जानकारी देने, भुगतान रोकने के बारे में सूचित करने, चेक और ग्राहक के नजदीक स्थित एटीएम या शाखा के बारे में जानकारी देने तक सीमित था।
यह काम भी एसएमएस के जरिये किया जाता था। कुछ बैंकों ने अपने ग्राहकों को वेबसाइट पर जाकर खातों से संबंधित जानकारी हासिल करने की सुविधा भी दी थी। लेकिन नए दिशानिर्देश मोबाइल फोन पर बैंकिंग सेवाओं को बेहद व्यापक बना देंगे। आरबीआई ने मोबाइल फोन के जरिये रकम एक खाते से दूसरे खाते में भेजने की सुविधा भी दे दी है।
इसमें रोजाना 5,000 रुपये तक की रकम भेजी जा सकती है। इसके अलावा वस्तुओं और सेवाओं की खरीदारी के एवज में रोजाना 10,000 रुपये तक का भुगतान भी मोबाइल फोन के जरिये किया जा सकता है। फिलहाल ऐसा केवल देश के भीतर ही किया जा सकता है।
दूसरे शब्दों में कहा जाए, तो तमाम तरह की वित्तीय गतिविधियां अब मोबाइल फोन के जरिये की जा सकती हैं। इसके लिए ग्राहकों को एक सॉफ्टवेयर अपने फोन में लगाना होगा। जीपीआरएस तकनीक का इस्तेमाल करने से यह कार्यक्रम बैंक के सर्वर से जुड़ जाएगा।
बैंकिंग के अलावा इसका उपयोग बिलों का भुगतान करने, ट्रेन, विमान या बस के टिकट बुक करने और खरीदारी करने में भी किया जा सकता है। एम-चेक के मुख्य कार्यकारी संजय स्वामी कहते हैं, ‘खरीदारी या बुकिंग बैंक खातों, डेबिट या क्रेडिट कार्ड के जरिये की जा सकती है।’ प्रमुख दूरसंचार प्रदाता एयरटेल ने मोबाइल बैंकिंग की सुविधा देने के लिए इसी कंपनी से करार किया है।
सेलफोन बना क्रेडिट कार्ड
भारती समूह की एयरटेल सिम कार्ड बांटने की योजना बना रही है। इन सिम कार्ड में यह सॉफ्टवेयर पहले से होगा और उनके इस्तेमाल से आपका मोबाइल फोन क्रेडिट कार्ड की तरह काम करने लगेगा।
रिलायंस मोबाइल अपनी वैप तकनीक के जरिये यह सेवा प्रदान करने के लिए कई बैंकों के साथ करार कर रही है। देश में निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई ने भी इस मामले में पहल कर ली है। बैंक ने आईमोबाइल नाम का नया सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन शुरू किया है।
इसे जीपीआरए सुविधा वाले हैंडसेट पर डाउनलोड किया जा सकता है और खातों की जानकारी लेने या रकम भेजने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। आईमोबाइल नेटबैंकिंग से काफी मिलती जुलती सुविधा है। इसमें लगने वाले शुल्क भी कमोबेश उसके बराबर ही होंगे।
फिलहाल कुछ बैंक नेटबैंकिंग की सुविधा अपने ग्राहकों को मुफ्त में दे रहे हैं। बाकी बैंक इसके लिए सालाना कुछ पैसे काटते हैं। मिसाल के तौर पर एयरटेल अपने ग्राहकों से कोई शुल्क नहीं लेती है।
मोबाइल बैंकिंग पर वित्तीय कारोबारों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी आरबीआई ने अपने दिशानिर्देशों में कई बातें स्पष्ट की हैं। नियमों के मुताबिक एसएमएस के जरिये भी गोपनीय सूचना भेजने से पहले उसकी तकनीक को बेहतर बनाया जाना चाहिए।
स्वामी कहते हैं, ‘मौजूदा तकनीक में एसएमएस कई पक्षों से होकर गुजरता है और उसे आसानी से पढ़ा जा सकता है।’
बेहद सुरक्षित
अलबत्ता जानकार कहते हैं कि क्रेडिट कार्ड और नेट बैंकिंग के मुकाबले मोबाइल बैंकिंग ज्यादा सुरक्षित है।
ऑक्सिजन सर्विसेज इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक प्रमोद सक्सेना ने कहा, ‘वित्तीय कारोबार मोबाइल से ही होते हैं। सिम कार्ड और मोबाइल की सूचना को कोई और हासिल नहीं कर सकता।’ अगर आपका मोबाइल खो जाता है, तब भी आपकी वित्तीय जानकारी छिपी रह सकती है।
दरअसल मोबाइल बैंकिंग का सॉफ्टवेयर निजी पहचान क्रमांक (पिन) डालने से ही चालू होता है, इसलिए उससे जानकारी हासिल करने का कोई दूसरा तरीका नहीं है।
मोबाइल बैंकिंग के नियम
ग्राहक को इस सुविधा के लिए बैंक की शाखा में निजी तौर पर आकर केवाईसी (अपने उपभोक्ता को पहचानिए) फॉर्म भरना होगा।
मोबाइल बैंकिंग के जरिये ग्राहक रोजाना भेज सकते हैं 5,000 रुपये तक की रकम और वस्तुओं या सेवाओं की खरीदारी के एवज में कर सकते हैं 10,000 रुपये तक का भुगतान
रकम भेजना फिलहाल देश के भीतर ही संभव