वित्तीय जगत में आया संकट भारत की नामचीन सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियों को भी खासा परेशान कर रहा है।
देश की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर निर्यातक कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) को भी वित्तीय ग्राहकों की ओर से कारोबार में कमी आने का अंदेशा है। कंपनी को लगता है कि ज्यादातर वित्तीय ग्राहक नए करार करने में देर करेंगे।
टीसीएस के मुख्य कार्यकारी सुब्रमण्यम रामादुरै ने एक साक्षात्कार के दौरान यह आशंका जताई। लगभग साढ़े तीन साल में इस बार टीसीएस को मुनाफे में सबसे कम इजाफे का मुंह देखना पड़ा है। इनकी मुख्य वजह भी वित्तीय कंपनियों का भट्ठा बैठना था।
रामादुरै ने कहा, ‘पिछले कुछ समय में हम करारों में विलंब की समस्या से जूझ रहे हैं। हमें आशंका है कि आगे भी हमें नए कारोबारी समझौतों में देर की दिक्कत झेलनी पड़ सकती है।’ कंपनी ने पिछली तिमाही में ही कुछ नए करार किए हैं। रामादुरै के मुताबिक वे करार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ही कर लिए जाने थे यानी उनमें कम से कम तीन महीने की देर हुई है।
कंपनी को मुनाफे में कम इजाफा इसलिए भी झेलना पड़ा क्योंकि उसके मोटे-मोटे ग्राहक महामंदी के बाद आई सबसे खौफनाक मंदी के शिकार बन गए हैं। गोल्डमैन सैक्स ग्रुप और मैक्वायर सिक्योरिटीज लिमिटेड जैसी क्रेडिट रेटिंग कंपनियों ने इसी वजह से टीसीएस की साख भी कम कर दी है।
टीसीएस की दूसरी तिमाही की आय में लगभग 42 फीसद हिस्सेदारी वित्तीय कंपनियों की ही थी। कंपनी ने इसी महीने सिटीग्रुप की भारतीय इकाई खरीदने के लिए भी समझौता किया है। इसके एवज में वह सिटीग्रुप को 50.5 करोड़ डॉलर अदा करेगी। इस सौदे के तहत कंपनी को सिटीग्रुप के पास मौजूद 250 करोड़ डॉलर के कारोबारी ठेके हासिल हो गए हैं।
रामादुरै के मुताबिक मौजूदा आर्थिक संकट के बीच यह एक तरह से उनके लिए बीमा है। रामादुरै ने बताया कि टीसीएस अमेरिका के तीन बड़े बैंकों के साथ बातचीत कर रही है और उनसे उसे ठेके मिल सकते हैं। लेकिन उन्होंने इसके बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया। उन्होंने बताया कि कंपनी ने दूसरी तिमाही के दौरान लगभग 100 करोड़ डॉलर के ठेके लिए हैं।
संवारेगी भारत में कारोबार
टीसीएस भारत में अपने कारोबार में उतार चढ़ाव कम करने की कोशिश कर रही है। कंपनी के लिए भारत परेशानी का सबब बन रहा है। हाल में समाप्त तिमाही के दौरान दुनिया भर में कंपनी की कमाई और मुनाफे में अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई, लेकिन भारत में उसके आंकड़े अच्छे नहीं रहे।
कंपनी के मुख्य परिचालन अधिकारी एन चंद्रशेखरन ने बताया कि भारत पर कंपनी नए सिरे से काम कर रही है। उन्होंने बताया कि भारत में कंपनी के ज्यादातर ठेके परियोजना आधारित होते हैं, जबकि दूसरी कंपनियां एक निर्धारित अवधि के लिए ठेके करती हैं। परियोजना आधारित ठेकों में कमाई कभी ज्यादा होती है और कभी कम।
चंद्रशेखरन ने बताया कि अब कंपनी भारत में अपने कारोबार की तिमाही समीक्षा करने के बजाय उसकी वार्षिक समीक्षा कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत से कंपनी को काफी उम्मीदें हैं क्योंकि यहां अभी बहुत ज्यादा काम किया जाना है।