आगरा का डीजल इंजन निर्माण उद्योग परोक्ष रूप से तकरीबन 15,000 लोगों को रोजगार मुहैया कराता है।
वहीं अपरोक्ष रूप से यह उद्योग लगभग 100,000 स्थानीय निवासियों की रोजी-रोटी का जरिया है। लेकिन पिछले दशक के दौरान शहर में कई कारकों के कारण इस उद्योग पर संकट पैदा हो गया है।
इनमें डीजल जेनरेटरों पर सख्त प्रदूषण नियंत्रण मानदंड और हाल ही में राज्य सरकार द्वारा थोपे गए अत्यधिक कर इस उद्योग पर संकट के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं।
इस उद्योग के जानकारों के मुताबिक आगरा में तकरीबन 150 डीजल इंजन निर्माण इकाइयां हैं जो ‘लिस्टर’ टाइप के इंजन के विकल्प के लिए पम्प की कपलिंग के जरिये डीजल पम्प और जेनरेटर दोनों को तैयार करती हैं। ये इंजन ज्यादा आवाज करते थे और सल्फ्यूरस धुआं, कार्बन, पोलीसाइक्लिक एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन पैदा करते थे जिसके कारण आगरा में डीजल जेनरेटरों के निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इस प्रतिबंध के बाद जेनरेटरों के निर्माण में लगी लघु इकाइयां बड़े पैमाने पर बंद हो गईं।
महज कुछ जेनरेटर इकाइयां ही नए प्रदूषण मानकों के साथ जेनरेटरों के निर्माण की प्रौद्योगिकी हासिल करने में सफल रहीं हैं। लेकिन इससे इनकी लागत में काफी इजाफा हुआ और जेनरेटरों की कीमतों में दोगुनी से भी अधिक बढ़ोत्तरी हुई। हालांकि डीजल इंजन के निर्माण में लगी अन्य इकाइयां भी किसानों को इंजन से जुड़े पम्पसेटों की बिक्री कर अपना अस्तित्व बचाने में सफल रहीं और उन्हें सिंचाई विभाग से भी ठेके मिले।
वहीं कई फैक्टरियां अभी भी अन्य राज्यों में अपने पुराने ग्राहकों को पुरानी डिजाइन के जेनरेटरों को असेंबल करने में लगी हुई हैं और इन्हें अफ्रीकी देशों को निर्यात कर रही हैं।
नेशनल चैम्बर ऑफ इंडस्ट्रीज ऐंड कॉमर्स, उत्तर प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत करते हुए कहा कि मौजूदा समय में जब ज्यादातर जेनरेटर निर्माता या तो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों का पालन कर रहे हैं या फिर अपना कामकाज बंद कर रहे हैं, आगरा के डीजल इंजनों को दो प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ये चुनौतियां हैं – स्थानीय बाजार में एलपीजी और सीएनजी आधारित चीनी इंजनों और जेनरेटरों की घुसपैठ और मशीन के उपकरणों और एसेसरीज पर कर को बढ़ा कर 14.5 फीसदी किया जाना।
उन्होंने कहा कि बाजार में चीनी इंजनों का प्रवेश आगामी वर्षों में स्थानीय उद्यमियों के लिए चिंताजनक बन सकता है। लेकिन फिलहाल इन चीनी इंजनों की बाजार भागीदारी नगण्य है।