सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को अपने खुद के फैसले के खिलाफ साइरस इन्वेस्टमेंट्स ऐंड स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट्स की तरफ से दाखिल पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी। पिछले साल मार्च के फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस को समूह चेयरमैन के तौर पर साइरस मिस्त्री को हटाने की अनुमति दी थी।
इसके साथ ही मिस्त्री फैमिली और टाटा के बीच छह साल पुराना कानूनी संघर्ष समाप्त हो गया। लेकिन मिस्त्री को आंशिक राहत देते हुए मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना की अगुआई वाला पीठ अपने पूर्व के फैसले में मिस्त्री के खिलाफ की गई कुछ निश्चित प्रतिकूल टिप्पणी को हटाने पर सहमत हो गया। सर्वोच्च न्यायालय ने मिस्त्री को निर्देश दिया कि मिस्त्री की याचिका में अदालत के खिलाफ दर्ज कुछ निश्चित पैराग्राफ को हटा दिया जाए या फिर मिस्त्री उसे वापस ले ले।
टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन रतन टाटा ने कहा, आज के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर हम अदालत का आभार जताते हैं। यह हमारी न्याय व्यवस्था के मूल्य व नैतिकता को स्थापित करता है।
टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया। टाटा संस ने कहा, यह एक बार फिर टाटा समूह की स्थिति को एक बार फिर पुष्ट करता है, जिसे पिछले साल आमसहमति वाले फैसले में सही करार दिया गया था। टाटा संस राष्ट्र निर्माण और गवर्नेंस के मानकों आदि के मुताबिक कार्य करने की प्रतिबद्धता दोहराती है, जिसने टाटा समूह के सभी कारोबारों को विभिन्न वर्षों में निर्देशित किया है। देश को दो सबसे पुराने कारोबारी घरानों के बीच विवाद तब शुरू हुआ जब टाटा संस के बोर्ड ने मिस्त्री को साल 2016 में टाटा संस के कार्यकारी चेयरमैन के पद से हटा दिया। अरबपति मिस्त्री परिवार की निवेश कंपनियों साइरस इन्वेस्टमेंट्स ऐंड स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट्स (जिसके पास टाटा संस की 18.4 फीसदी हिस्सेदारी है) ने एनसीएलटी के मुंबई पीठ का रुख किया, जिसमें टाटा ट्रस्ट व रतन टाटा की तरफ से टाटा संस में कुप्रबंधन का आरोप लगाया गया था। टाटा ट्रस्ट के पास टाटा संस की 66 फीसदी हिस्सेदारी है जबकि बाकी का स्वामित्व टाटा समूह की कंपनियों और कुछ छोटे शेयरधारकों के पास है। हालांकि एनसीएलटी ने अपना फैसला मिस्त्री के खिलाफ दिया था और टाटा के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज कर दी थी।
मिस्त्री की तरफ से 24 अप्रैल, 2021 को दाखिल पुनर्विचार याचिका पर आज सुनवाई हुई और याचिका खारिज कर दी गई। यह जानकारी टाटा समूह के लिए अदालत में पेश लॉ फर्म करंजावाला ऐंड कंपनी की तरफ से जारी बयान से मिली।
