पिछले साल जनवरी में कोरस के अधिग्रहण के साथ ही अब टाटा स्टील उसके लिए वायर कंपनी की तलाश कर रही है। कोरस के अधिग्रहण के बाद ही कंपनी दुनिया की छठी सबसे बड़ी इस्पात निर्माता कंपनी बन गई थी।
टाटा स्टील के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि वायर रॉड बनाने वाली कोरस और टाटा स्टील यूरोप में अधिग्रहण की संभावनाएं तलाश रही हैं। यह कदम समूह की वायर के क्षेत्र में तीसरी सबसे बड़ी कंपनी बनने की योजना के मद्देनजर ही उठाया गया है, जिसके साथ कंपनी की कुल क्षमता बढ़कर 10 लाखटन होने संभावना है।
मौजूदा समय में टाटा स्टील की वायर डिविजन की क्षमता लगभग 6 लाख टन है। टाटा स्टील अपनी रणनीति के तहत प्राथमिक उत्पाद कच्चे माल के नजदीक की बनाती है, जबकि अंतिम उत्पाद को बाजार के नजदीक बनाया जाता है। यूरोप में अधिग्रहण कोरस के लिहाज से भी ठीक है।
वायर डिविजन टाटा स्टील का रणनीतिक कारोबारी इकाई है और वह श्रीलंका में एक सहायक कंपनी के रूप में भी कार्य करती है। टाटा स्टील की भारत के तारापुर और जमशेदपुर में कुल 3 लाख टन की वायर क्षमता है, जिसे बढ़ाकर 4.5 लाख टन किया जा रहा है। अधिकारी का कहना है, ‘इस क्षमता को बढाने का काम अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही तक पूरा हो जाएगा।’
टाटा स्टील एशिया में भी वायर क्षेत्र में अधिग्रहण पर नजर बनाए हुए है। टाटा स्टील का वायर कारोबार से लगभग 3 हजार करोड़ रुपये की आय हो जाती है, जिसमें भारत से इस कारोबार को 57 प्रतिशत और दक्षिण पूर्वी एशिया से 25 प्रतिशत आय होती है।
टाटा स्टील का वैश्विक वायर का कारोबार टाटा स्टील वायर डिविजन, भारत, दी सियाम इंडस्ट्रियल वायर कंपनी लिमिटेड, थाईलैंड वुक्सी जिंयांग मेटल प्रोडक्ट्स कंपनी लिमिटेड चीन, इंडियान स्टील ऐंड वायर प्रोडक्ट्स, भारत और लंका स्पेशल स्टील लिमिटेड श्रीलंका में फैला हुआ है।