टाटा स्टील को अपने यूरोपीय परिचालन में सुधार के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। साल 2007 में टाटा स्टील ने 6.2 अरब पाउंड के एक सौदे के तहत कोरस का अधिग्रहण किया था। हालांकि यह भारतीय उद्योग के इतिहास का एक सबसे बड़ा सीमा पार अधिग्रहण था लेकिन कुछ अच्छे वर्षों को छोड़कर यह सौदा टाटा स्टील के लिए सिरदर्द ही बना रहा।
अधिग्रहण के 15 साल बाद इस्पात कीमतों में आई तेजी ने आखिरकार टाटा स्टील के यूरोपीय परिचालन को एक अच्छी स्थिति में ला दिया है। वित्त वर्ष 2022 में टाटा स्टील 63,830 करोड़ रुपये का समेकित एबिटा दर्ज किया जो उसका अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा है और उसमें यूरोपीय परिचालन का योगदान उल्लेखनीय रहा। उसने 119.9 करोड़ पाउंड यानी 12,164 करोड़ रुपये का एबिटा दर्ज किया जो अब तक का सर्वाधिक है।
टाटा स्टील यूरोप ने इससे पहले 2007-08 (अधिग्रहण वर्ष) में अपना बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 106.3 करोड़ पाउंड का एबिटा दर्ज किया था। उस समय इस्पात चक्र अपने चरम पर था। साल 2008-09 की दूसरी छमाही से वैश्विक आर्थिक संकट की शुरुआत हो गई थी और उसका असर एबिटा पर दिखने लगा था। चीन से सस्ते आयात की लहर ने समस्याओं को कहीं अधिक जटिल बना दिया विशेष तौर पर अधिक लागत वाले ब्रिटेन के कारोबार के लिए।
हालांकि टाटा स्टील यूरोप के साल 2007-08 और मौजूदा एबिटा के बीच मुख्य अंतर यह है कि वित्त वर्ष 2022 का एबिटा का वॉल्यूम काफी कम है। अधिग्रहण के बाद यूरोपीय पोर्टफोलियो में काफी कमी आई है जो 2007 में करीब 1.82 करोड़ टन उत्पादन से घटकर वित्त वर्ष 2022 में करीब 1 करोड़ टन (क्षमता 1.2 करोड़ टन) रह गया है। टाटा स्टील के भारतीय कारोबार का एबिटा मार्जिन काफी अधिक है और इस दौरान भारतीय परिचालन के तहत उत्पादन भी 53 लाख टन से बढ़कर 1.9 करोड़ टन हो गया। यूरोपीय परिचालन में सुधार को मुख्य तौर पर इस्पात कीमतों में तेजी के अलावा उस बदलाव कार्यक्रम से रफ्तार मिली जिसे कंपनी ने करीब तीन साल पहले शुरू किया था।
टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी टीवी नरेंद्रन ने कहा, ‘इस बदलाव कार्यक्रम की शुरुआत उस दौरान हुई थी जब हम टिसनक्रुप के साथ बातचीत कर रहे थे। हमने एसएसएबी बातचीत के दौरान उसे जारी रखा क्योंकि हमें पता था कि यह आगे चलकर काफी महत्त्वपूर्ण साबित होगा।’
टाटा स्टील ने कई तरीके से अपने इस महंगे सौदे को बोझ कम करने की कोशिश की। इसी क्रम में ब्रिटेन की इकाइयों की बिक्री के बाद 2016 में यूरोपीय पोर्टफोलियो की समीक्षा की गई और 2018 में टिसनक्रुप के साथ एक संयुक्त उद्यम स्थापित की गई। कंपनी ने अपनी नीदरलैंड इकाई की बिक्री के लिए साल 2020 में स्वीडन की कंपनी एएसएबी के साथ बातचीत शुरू की लेकिन सौदा नहीं हो सका।
बहरहाल, टाटा स्टील का बदलाव कार्यक्रम जारी रहा और उसके परिणामस्वरूप लागत में सालाना 10 से 15 करोड़ पाउंड की बचत हुई। टाटा स्टील यूरोप वित्त वर्ष 2021 के आखिर तक कंपनी की नकदी आवक बढ़ गई।
विश्लेषकों का मानना है कि टाटा स्टील यूरोप के लिए आगे का परिदृश्य सकारात्मक है। मोतीलाल ओसवाल की एक रिपोर्ट के अनुसार, टाटा स्टील यूरोप की रिकॉर्ड उच्च लाभप्रदता जारी रहनी चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि टाटा स्टील यूरोप को यूरोपीय बाजार में मौजूदा आपूर्ति किल्लत से फायदा हुआ है।
