टाटा पावर ने आज कहा कि उसकी मुंद्रा सहायक इकाई ने अपने बैंक ऋण के दूसरी किस्त की अदायगी कर दी है। कंपनी ने कहा कि इसके साथ ही मुंद्रा इकाई के सभी बैंक ऋण को पूरी तरह चुका दिए गए हैं।
टाटा पावर ने बंबई स्टॉक एक्सचेंज को दी जानकारी में कहा कि उसकी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी कोस्टल गुजरात पावर (सीजीपीएल) ने बुधवार को 1,550 करोड़ रुपये के बैंक ऋण की अदायगी की है। सीजीपीएल ने ही गुजरात में टाटा पावर की मुंद्रा अल्ट्रा मेगा बिजली परियोजना (यूएमपीपी) स्थापित की है। टाटा पावर ने अपने बयान में कहा, ‘यह पहली सीजीपीएल के आवधिक ऋण अदायगी दायित्वों को कम करने के लिए सीजीपीएल में ऋण चुकाने संबंधी कंपनी के उद्देश्य के अनुरूप है।’ बयान में यह भी कहा गया है कि अक्टूबर में इस सहायक इकाई ने 2,600 करोड़ रुपये के बैंक ऋण को भी चुकाया।
टाटा पावर ने कहा कि इस पुनर्भुगतान (1,550 करोड़ रुपये) और अक्टूबर 2020 में बैंक ऋणों के 2,600 करोड़ रुपये के पुनर्भुगतान के साथ ही सीजीपीएल के 4,150 करोड़ रुपये के बैंक ऋण को पूरी तरह चुका दिया गया है। सीजीपीएल का दीर्घकालिक ऋण अब 3,790 करोड़ रुपये रह गया है जिसमें बॉन्ड एवं डिबेंचर भी शामिल हैं।
टाटा पावर की मुंद्रा परियोजना पिछले कई वर्षों से समस्याओं से जूझ रही है जिसमें अनुबंध की दरें कम होने और आयातित कोयला की लागत में उल्लेखनीय वृद्धि शामिल हैं। वित्त वर्ष 2020 में मुंद्रा इकाई ने समेकित रूप से 891 करोड़ रुपये के नुकसान की सूचना दी।
