डिफरेंशियल वोटिंग शेयर जारी करने का टाटा मोटर्स का पहला प्रयोग ही बिल्कुल नाकाम हो गया।
कंपनी का 1960 करोड़ रुपये के ये शेयर वैश्विक आर्थिक मंदी के बवंडर में फंस गए और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) तथा बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में इनका कारोबार न के बराबर ही रहा।
कंपनी के डिफरेंशियल वोटिंग शेयर इसी महीने की 5 तारीख को सूचीबद्ध हुए थे। लेकिन आज इनके कुल कारोबार के आंकड़े बेहद निराशाजनक रहे। बीएसई पर कुल दो शेयरों का कारोबार हुआ और एनएसई पर कंपनी के महज 46 डिफरेंशियल वोटिंग शेयर का कारोबार किया गया।
5 नवंबर के बाद से पिछले 10 कारोबारी सत्रों के दौरान कंपनी के कुल मिलाकर 13,000 शेयरों का कारोबार हुआ और इनमें से 11,000 शेयर तो सूचीबद्ध होने के दिन ही कारोबारियों के हाथ आए।
इसके उलट कंपनी के सामान्य वोटिंग शेयरों के औसत कारोबारी नतीजे खासे अच्छे रहे। बीएसई पर कंपनी के ऐसे 5.5 लाख शेयरों का रोजाना कारोबार हो रहा है और एनएसई पर औसतन 14 लाख शेयरों का प्रतिदिन कारोबार किया जा रहा है।
दिलचस्प है कि राइट इश्यू के समय सामान्य वोटिंग शेयर की कीमत 340 रुपये प्रति शेयर रखी गई थी। इसके उलट डिफरेंशियल वोटिंग शेयर की कीमत 305 रुपये प्रति शेयर है, जिसमें 295 रुपये प्रति शेयर का प्रीमियम भी शामिल है।
लेकिन इस समय डिफरेंशियल वोटिंग शेयर का भाव बीएसई पर 146 रुपये प्रति शेयर चल रहा है, जबकि सामान्य वोटिंग शेयर का भाव 133 रुपये है। एनएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘सबसे खराब बात यह है कि असली वजह का पता नहीं चल पा रहा है।
आप यकीन के साथ नहीं कह सकते कि निवेशकों ने इस नए उपकरण को नकारा है या वित्तीय मंदी की चपेट में आकर कंपनी के प्रदर्शन की ही खटिया खड़ी हो गई है।’ शेयरों के इस बंटाधार ने तो डिफरेंशियल वोटिंग शेयरों पर ही बुनियादी सवाल खड़े कर दिए हैं।