टाटा समूह सेमीकंडक्टर चिप कारोबार में दस्तक देने के लिए कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से बातचीत कर रही है जिसमें ताइवान की कंपनियां भी शामिल हैं। इससे पहले केंद्र सरकार ने भारत में चिप विनिर्माण के लिए ताइवान की कंपनियों ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (टीएसएमसी) और यूनाइटेड माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन (यूएमसी) को भारत लाने की कोशिश की थी।
इस मामले से अवगत एक व्यक्ति ने कहा कि टाटा समूह ने संभावित करार के लिए अब एक अलग चैनल खोल दिया है। फिलहाल भारत ज्यादातर चिप का आयात करता है जो फ्रैब्रिकेटेड और असेंबल्ड होते हैं। इनका इस्तेमाल विभिन्न ऐप्लिकेशन में किया जा सकता है जिनमें वाहन, अक्षय ऊर्जा, मोबाइल फोन, टेलीविजन एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं शामिल हैं।
टाटा संस के प्रवक्ता ने अंतरराष्ट्रीय साझेदारी के लिए बातचीत एवं संभावित करार के बारे में जानकारी के लिए भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया। वाहन विनिर्माण एवं अक्षय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में टाटा समूह की मौजूदगी को मद्देनजर उसे खुद चिप की जरूरत है।
समूह की कंपनी टाटा एलेक्सी पहले से ही सेमीकंडक्टर सेवा कारोबार में मौजूद है जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता टूल्स व फ्रेमवर्क, डिजाइन सॉल्यूसंस और डेवलपमेंट शामिल हैं। समूह ने तमिलनाडु में एक नई इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण इकाई स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
हालांकि केंद्र सरकार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की सेमीकंडक्टर प्रयोगशाला (एससीएल) के सहयोग से ताइवान की कंपनी टीएसएमसी और बाद में यूएमसी के साथ एक विनिर्माण केंद्र स्थापित करने के लिए उत्सुक थी। लेकिन इस संबंध में बातचीत आगे नहीं बढ़ सकी क्योंकि जिस प्रोत्साहन की पेशकश की गई थी उससे कंपनियां संतुष्ट नहीं थीं। इस मामले से अवगत एक अन्य अधिकारी ने कहा कि भारत ने मुक्त व्यापार समझौते की भी पेशकश नहीं की थी जिस पर ताइवान की कंपनियां जोर दे रही थीं।
लड़ाकू विमानों के लिए आवश्यक चिप का उत्पादन मोहाली के एससीएल में होता है जो एक अनुसंधान एवं विकास इकाई है। यह इकाई डिजाइन, डेवलमेंट, फैब्रिकेशन, ऐप्लिकेशन के लिए खास एकीकृत सर्किट की असेंबली और माइक्रो इलेक्ट्रो मेकेनिकल सिस्टम डिवाइस के लिए काम करती है। एससीएल बड़े पैमाने पर एकीकृत सर्किट के लिए क्षमता निर्माण करना चाहती है।
सरकार उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के जरिये सेमीकंडक्टर विनिर्माण को प्रोत्साहित करना चाहती है। केंद्रीय मंत्रिमंडल पीएलआई योजना के तहत ऐसी इकाइयां स्थापित करने के लिए कंपनियों से मिली अभिरुचि पत्र को जल्द मंजूरी दे सकता है।
