टाटा समूह ने साइरस मिस्त्री जैसे विवाद से बचने के लिए एक अहम बदलाव किया है। मंगलवार को टाटा ग्रुप की एजीएम बैठक में आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन समेत कुछ नए संशोधनों को मंजूरी दे दी गई है।
इस फैसले के बाद अब टाटा संस और टाटा ट्रस्ट्स (Tata Trusts) के चेयरमैन के पद अलग हो गए हैं। यानी अब कोई एक व्यक्ति टाटा संस और टाटा ट्रस्ट्स (Tata Trusts) का चेयरमैन नहीं बन सकता है।
बता दें कि टाटा संस के सबसे बड़े माइनोरिटी स्टेकहोल्डर्स एसपी ग्रुप ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। जानकारी के मुताबिक साइरस मिस्त्री के SP Group की टाटा संस में 18.4 फीसदी हिस्सेदारी है।
साल 2013 से ही टाटा संस और टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन अलग-अलग व्यक्ति हैं। बता दें कि रतन टाटा इन दोनों को संभालने वाले आखिरी शख्स थे। लेकिन अब नियमों में बदलाव के चलते इसे कानूनी रूप दे दिया गया है।
आपको बता दें कि टाटा संस के चेयरमैन पद और डाइरेक्टर्स के पदों के लिए सुझाव देने को लेकर एक सेलेक्शन कमेटी बनाई जाएगी।
अब ऐसे होगा टाटा के चेयरमैन का चयन
नए बदलाव के आने से अब सेलेक्शन कमेटी के चेयरमैन का चयन सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट के द्वारा किया जाएगा। ये ट्रस्ट जिनका नाम तय करेंगे, उन्हीं में से चयन किया जाएगा।
कमेटी के लिए दोनों ही ट्रस्ट तीन-तीन लोगों को नॉमिनेट करेंगे। वहीं दूसरी ओर टाटा संस का बोर्ड एक व्यक्ति को नॉमिनेट करेगा। साथ ही इसमें एक इंडिपेंडेट डायरेक्टर भी होगा।
मीटिंग में यह प्रस्ताव भी पारित किया गया कि सर दोराबजी ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट का चेयमैन टाटा संस का चेयरमैन नहीं बन सकता है।
साथ ही टाटा संस के चेयरमैन की नियुक्ति के लिए सभी डायरेक्टर्स की मंजूरी जरूर होनी चाहिए।