गुजरात के आयातित कोयला आधारित दो बिजली संयंत्रों-टाटा यूएमपीपी और अदाणी मुंद्रा को सरकार के कदम से थोड़ी राहत मिल सकती है। घरेलू बाजार में कोयले की आपूर्ति की किल्लत के बीच दोनों संयंत्रों को हाजिर बाजार में बिजली बेचने की मंजूरी मिल सकती है।
दोनों बिजली इकाइयों का पांच राज्यों, जिन्हें वे बिजली की आपूर्ति करती हैं, से लंबे समय से क्षतिपूर्ति बकाया राशि को लेकर खींचतान चल रही है। आयातित कोयला महंगा होने से इन संयंत्रों की लागत काफी बढ़ गई है। उम्मीद की जा रही है कि टाटा पावर और अदाणी पावर को एनर्जी एक्सचेंज पर बिजली बेचने से थोड़ा फायदा मिल सकता है क्योंकि शुल्क दरों पर स्पष्टïता नहीं होने की वजह से फिलहाल वे दीर्घावधि के अनुबंध के तहत राज्यों को बिजली नहीं बेच रही हैं। अदाणी और टाटा पावर ने जिस भाव पर बिजली बेचने का करार किया है, इंडियन एनर्जी एक्सचेंज पर बिजली का मौजूदा भाव उससे दोगुने से भी ज्यादा है।
बिजली मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि मुंद्रा की दो इकाइयों के पास 15 दिन से ज्यादा के उपयोग के लिए आयातित कोयले का भंडार है। उन्हें एनर्जी एक्सचेंज पर बिजली बेचने की अनुमति दी जानी चाहिए या उनकी बिजली राज्यों द्वारा खरीदी जानी चाहिए। मामले के जानकार सूत्रों ने कहा कि गुजरात में बिजली की कमी है और वह एक्सचेंज पर सबसे ज्यादा बिजली की खरीद करता है।
पश्चिमी और उत्तरी राज्यों में स्थित बिजली संयंत्रों को घरेलू कोयले की कम उपलब्धता का सामना करना पड़ रहा है। उनके पास छह दिन के कोयले का ही भंडार है। हालांकि खबर लिखे जाने तक बिजली मंत्रालय से दोनों कंपनियों को खुले बाजार में बिजली बेचने की आधिकारिक अनुमति नहीं मिली है।
अदाणी पावर की मुंद्रा परियोजना की क्षमता 1,980 मेगावॉट है और उसने गुजरात और हरियाणा से 2.35 रुपये प्रति यूनिट की दर पर बिजली खरीद का करार किया है। टाटा पावर की 4,000 मेगावॉट वाली अल्ट्रा मेगा बिजली संयंत्र का गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा के साथ 2.26 रुपये प्रति यूनिट पर बिजली खरीद का करार है।
बिजली मंत्रालय इन पांचों राज्यों के साथ बात कर रहा है कि इन इकाइयों को एनर्जी एक्सचेंज पर हाजिर बाजार में बिजली बेचने की अनुमति दी जाए। अधिकारियों ने कहा कि गुजरात सीमित अवधि के लिए अनुमति देने के लिए तैयार है। हालांकि अन्य राज्यों से इसकी मंजूरी नहीं मिली है। गुजरात और हरियाणा को छोड़कर अन्य तीनों राज्य गैर-भाजपा शासित हैं।
इंडोनेशिया सरकार द्वारा 2010 में कोयले की बेंचमार्क कीमत बढ़ाए जाने से भारत में आयातित कोयले की लागत बढ़ गई थी। टाटा और अदाणी इंडोनेशिया से ही कोयला आयात करती थी। दोनों कंपनियों ने केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग से लागत बढऩे की वजह से क्षतिपूर्ति शुल्क की अनुमति देने की मांग की थी। उसके बाद से ही दोनों कंपनियां खरीदार राज्यों के साथ कानूनी और नियामकीय दांव-पेच में उलझी हैं।
सीईआरसी, उच्चतम न्यायालय और अपील पंचाट में कई चरण की याचिका के बाद पिछले साल गुजरात ने बिजली खरीद अनुबंध में संशोधन करने का निर्णय किया था।