खाना डिलिवरी करने वाली कंपनी स्विगी ने अपने कर्मियों के लिए मूनलाइटिंग नीति शुरू की है। इस नीति के तहत स्विगी के कर्मचारी अब आय में वृद्धि के लिए अन्य काम भी कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें कंपनी से मंजूरी लेनी होगी। यह कार्य वे कार्यालय अवधि के बाद या फिर सप्ताहांत में करेंगे ताकि इससे उनके काम पर असर नहीं पड़े और कंपनी के व्यवसाय को लेकर हितों का टकराव नहीं हो।
कंपनी के मानव संसाधन प्रमुख गिरीश मेनन बताते हैं, ‘हमारा लक्ष्य है कि कर्मचारी बिना किसी बाधा के अपने जुनून को आगे बढ़ाएं, इसके लिए हम उन्हें प्रोत्साहित करेंगे। पीपल फर्स्ट संस्थान बनाने के लिए यह हमारा अगला कदम होगा।’
देशभर में जारी लॉकडाउन के दौरान बड़ी आबादी ने नई रुचि अपनाई है जो उनके आय में भी वृद्धि कर रही है। इन गतिविधियों में किसी गैर सरकार संगठन के साथ काम करना, नृत्य प्रशिक्षक बनना या फिर सोशल मीडिया के लिए कंटेंट क्रिएटर आदि बनना है। स्विगी का मानना है कि पूर्णकालिक रोजगार के अलावा इन गतिविधियों में शामिल होने से व्यक्ति का पेशेवर विकास के साथ-साथ व्यक्तिगत विकास भी होता है।
कंपनी की नई नीति में कहा गया है कि कर्मचारी को मूनलाइटिंग परियोजना के सभी दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा। अगर किसी परियोजना में स्विगी के साथ हितों का टकराव या फिर कर्मचारी के कार्य पर असर पड़ने वाला हो इसके लिए स्वीकृति लेना अनिवार्य होगा। यह नीति बंडल टेक्नोलॉजी (मुख्य कंपनी) के सभी पूर्णकालिक कर्मचारियों जिसमें सहायक, सहयोगी और समूह कंपनियों के कर्मियों के लिए होगी।
बेंगलूरू की कंपनी में करीब पांच हजार कर्मचारी हैं। 500 शहरों में दो लाख रेस्तरां इसके पार्टनर हैं। पिछले सप्ताह स्विगी ने अपने सभी कर्मचारियों के लिए स्थायी रूप से कहीं से भी काम करने की घोषणा की थी। यह फैसला कंपनी ने अपने कर्मियों, प्रबंधकों से लिए पिछले दो वर्षों के फीडबैक पर लिया था। आज देश के 27 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों के 487 शहरों से स्विगी के कर्मचारी काम कर रहे हैं।
मेनन बताते हैं कि मैंने कई जगहों से काम किया है। इस साल मैंने दुबई, सिंगापुर और यूरोप से भी काम किया है। तिमाही का पहला उत्सव इस बार जून में मनाया गया था और लगभग दो वर्षों के बाद सभी टीमें एकजुट हुई थीं। जो कर्मचारी पार्टनर फेसिंग रोल्स में हैं उन्हें अपने मूल स्थान से सप्ताह में कुछ दिन दफ्तर आकर काम करना पड़ता है।
स्विगी ऐसे समय में ऐसी नीतियां लेकर आ रहा है, जब गिरते हुए मूल्यांकन, फंडिंग के दौर में मंदी और निवेशकों की धारणा में गिरावट ने कई भारतीय स्टार्ट-अप को नकदी बचाने के लिए कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ रही है। उदाहरण के लिए एडटेक यूनिकॉर्न अनअकैडमी के संस्थापकों ने कर्मियों के वेतन में कटौती के साथ-साथ दफ्तर में कर्मचारियों को मिलने वाले निःशुल्क खाना व नाश्ता पर भी रोक लगा दी है और साथ ही अपने कई व्यवसाय भी बंद कर दिए हैं। साल के शुरुआत में कंपनी ने एक हजार से अधिक कर्मचारियों को सेवामुक्त भी किया था।
क्या ऐसी नीतियों के कारण कर्मचारियों की उत्पादकता के साथ साथ संस्थान की वृद्धि पर प्रतिकूल असर पड़ेगा इसपर मेनन कहते हैं, ‘स्विगी इसको लेकर काफी सावधान है, लेकिन कंपनी अपने लोगों पर निवेश कर रही है।’
एक साक्षात्कार में मेनन कहते हैं कि हमें अपने कर्मचारियों पर विश्वास है। इसलिए हम उनके दफ्तर आने और जाने का ख्याल नहीं रखते हैं। साथ ही हम उनकी उत्पादकता पर भी नजर नहीं रखते हैं और न ही कोई ऑनलाइन टूल्स आदि का उपयोग करते हैं। यही कारण है कि हमारे कुछ बेहतरीन काम जैसे इंस्टामार्ट की लॉन्चिंग भी बीते दो वर्षों में सुदूर क्षेत्रों में ही हुई है।
मेनन कहते हैं कि ऐसा कोई कारण नहीं है संस्थान सुदूर क्षेत्रों में काम करने के लिए जरूरी नवाचार को न अपनाए, लेकिन हमें ऐसे टूल्स और तकनीक में निवेश करना होगा ताकि हम सुदूर लोगों के संपर्क में रह सकें। स्विगी अपने कर्मचारियों पर काफी समय लगाता है और उनकी नब्ज जानने और उनसे संपर्क करने के लिए मासिक टाउनहॉल आदि का भी आयोजन करता है। इसने कर्मचारियों के शिक्षण और कल्याण के लिए भी कई कार्यक्रम शुरू किए हैं।
मेनन कहते हैं ‘जब तक हम (कर्मचारियों) को समझने और सहानुभूति रखने में सक्षम हैं, हम प्रासंगिक नीतियां बनाने में सक्षम हैं और ये नीतियां व्यवसाय के लिए हानिकारक नहीं हैं, लेकिन वास्तव में संगठन के लिए फायदेमंद हैं।’