ऐक्सिस बैंक में स्पेशल अंडरटेकिंग ऑफ यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (एसयूयूटीआई) की ओर से 21.5 प्रतिशत प्रस्तावति विनिवेश को फिलहाल खरीदारों की कमी के चलते अनौपचारिक रूप से रोक दिया गया है।
सरकारी एसयूयूटीआई जिसके पास ऐक्सिस बैंक में 27 प्रतिशत हिस्सेदारी है, उसने 21.5 प्रतिशत हिस्सेदारी को मार्च 2009 तक के लिए रोक दिया है (बची हुई 5.57 प्रतिशत इक्विटी लॉक-इन-अवधि के तहत है)।
संस्थान ने तीन इन्वेस्टमेंट बैंकरों- जेपी मॉर्गन चेस, सिटी बैंक और आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज को अगस्त में इस मसले पर सलाहकार के रूप में नियुक्त किया है। योजना के अनुसार इस इस लेन-देन को दिसंबर में पूरा होना था, लेकिन शेयर बाजार के गिरने से कई खरीदारों ने अपना मुंह फेर लिया है।
शेयर बाजार में मंदी के दौर में जनवरी में सबसे ऊंचे स्तर से अब तक निवेशक की आधे से भी अधिक संपत्ति खत्म हो गई है। इस बिक्री से जुड़े एक इन्वेस्टमेंट बैंकर का कहना है, ‘इस प्रक्रिया को कुछ समय के लिए रोक दिया, क्योंकि इस समय में कोई भी निवेशक इसमें अपनी दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है।’
एक विदेशी बैंक के प्रमुख सोवेरेजिन फंड, बड़े पेंशन फंड या वैश्विक बैंक जिनका भारतीय प्रतिभूतियों में काफी निवेश है, उन्होंने शुरुआत में दिलचस्पी दिखाई थी, लेकिन अब उनका मन नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में बाजार में स्थिरता दोबारा लौट आएगी, तब हम इस प्रक्रिया में दोबारा निवेश करेंगे। उम्मीद है कि 2009 की पहली तिमाही या फिर उसके भी बाद।’ मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए उनका कहना है कि यह लेन-देन इस वित्त वर्ष में पूरा होना नामुमकिन लगता है।