भारतीय उद्योग जगत की महज एक-चौथाई कंपनियां यह मानती हैं कि वे अपनी ESG नीतियों के अनुरूप आगे बढ़ने और अनुपालन जरूरतें पूरी करने में सक्षम हैं। वहीं उपभोक्ता उद्योग (consumer industry) इस मामले में काफी पीछे है। डेलॉयट इंडिया (Deloitte India) द्वारा कराए गए ESG (पर्यावरण, समाज, प्रशासन) संबंधित सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है।
मार्च और अप्रैल के बीच कराए गए इस सर्वे में पाया गया कि 50 प्रतिशत से कम कंपनियों ने भारत में मौजूदा ESG रिपोर्टिंग प्रणालियों और विनियमन से अवगत होने की बात कही।
इस सर्वे में 150 संगठनों को शामिल किया गया जिनमें वित्तीय सेवा क्षेत्र (financial services sector) के 68 प्रतिशत संगठन ESG नियमों से पूरी तरह अवगत थे जबकि उपभोक्ता और रियल एस्टेट एवं निर्माण क्षेत्रों (construction industry sectors) में सिर्फ 25 प्रतिशत कंपनियां इन नियमों से अवगत थीं।
रिपोर्ट से पता चला है कि उपभोक्त उद्योग में सिर्फ 7 प्रतिशत संगठनों ने ESG शर्तों के अनुपालन के संदर्भ में तैयारियों का संकेत दिया, क्योंकि इस क्षेत्र में ESG प्रदर्शन पर निवेशकों ने कम ध्यान केंद्रित किया है। हालांकि ऊर्जा, संसाधन, और उद्योग (ER&I), वित्तीय सेवा और हेल्थकेयर उद्योग या तो इसके लिए पूरी तरह तैयार हैं या कुछ हद तैयार हैं।
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डेलॉयट इंडिया में पार्टनर एवं सस्टेनेबिलिटी लीडर विरल ठक्कर ने कहा, ‘मजबूत ESG परिवेश से बेहत राजस्व वृद्धि, लागत नियंत्रण, अनुपालन बोझ में कमी, बढ़ती उत्पादकता, और बेहतर निवेश गुणवत्ता में मदद मिलती है। ESG एक ऐसा महत्वपूर्ण मानक है जिससे उद्यम के परिचालन को खास बनाने में मदद मिलती है।’