सीआरआर में कटौती और ब्याज दरें घटाने के केंद्र सरकार के ऐलान के बाद अब छोटे और मझोले उद्यमियों मे नयी आस जगी है।
कम से कम उत्तर प्देश के उद्यमियों का तो ऐसा ही मानना है। बीते एक साल से मंदी की मार झेल रहे लघु और मझोले उद्योगों के लिए ब्याज दरों में कटौती किसी वरदान से कम नही है। कानपुर शहर के कई उद्योग, खासकर स्टील से जुड़ी इकाइयां, अपना उत्पादन तक बंद कर चुके थे।
इधर कच्चे माल की कीमत गिरने से उनमें उत्पादन फिर से चालू हो गया है। वाराणसी के रेशम उद्योग भी डॉलर के चढ़ने से उत्साहित हैं। भवन निर्माण सामग्री के दाम गिरने से भी छोटे और मझोले उद्योग खुश हैं। बीते 8 माह को देखें तो सीमेंट, सरिया और मोरंग के दाम सबसे निचले स्तर हैं।
शहर के एक प्रमुख निर्यातक रजत पाठक का कहना है कि डॉलर की तुलना में रुपए के कमजोर होने से मुनाफा बढ़ा है। लेकिन साथ ही वे मांग घटने की वजह से चिंतित भी हैं। पाठक का कहना है माल सस्ता जरुर हो गया और कर्ज भी अब कम ब्याज दर पर मिलेगा पर विदेश से ऑर्डर घटता जा रहा है।
उनका कहना है कि मंदी से उबारने में भारत में तो कदम उठाए गए हैं पर विदेश में मंदी की मार काफी है। उनके कथन का सर्मथन करते हुए एक अन्य सिल्क व्यावसायी विकास पाठक का कहना है कि निर्यातक अभी भी मंदी की मार झेल रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार ने देर में ही सही, पर ठीक कदम उठाया है।
कानपुर के उद्यमी सुशील अग्रवाल ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि स्टील की कीमत ज्यादा होने से फाउंड्री और कई अन्य इकाइयां बंद होने की कगार पर आ गए थे पर अब उनमें उत्पादन चालू हो गया है।
उन्होंने बताया कि बीते दिनों कच्चे माल की लागत बढ़ने से काफी उद्यमी घाटे की मार सह रहे थे, लेकिन अब आशा है कि बाजार में नए सिरे से तेजी आएगी अकेले कानपुर में स्टील उद्योग से जुड़ी 300 के लगभग इकाइयां बीते 8 महीने सें उत्पादन बंद कर चुकी थीं। अग्रवाल के मुताबिक इन इकाइयों के सामने सबसे बड़ा संकट पहले से ऑर्डर को पूरा कर पाना था जो कि अपेक्षाकृत कम भाव पर लिया गया था।
लखनऊ विश्वविद्यालय के व्यापार प्रशासन विभाग के शिक्षक राजीव सक्सेना का कहना है कि सीआरआर में कटौती और ब्याज दरें घटाने के फैसले का असर बाजार में दिखने में अभी समय लगेगा। उनका कहना है कि छोटे और मझोले उद्योगों के सामने पूंजी की उपलब्धता एक बड़ा संकट है और सरकार को इसके लिए भी कदम उठाने होंगे।
भवन निर्माण सामग्री की कीमतें गिरने से भी छोटे उद्योगों को फायदा होगा। निर्माण की गतिविधियां बढ़ने पर इसेस जुड़े कई छोटे उद्योगों को लाभ मिलता है। वहीं ऐसोचैम उत्तर प्देश के महासचिव एस बी अग्रवाल ने मांग की है कि सरकार को छोटे और मझोले उ्दयोगों के जल्दी ही राहत का पैकेज देना चाहिए।