सीजन के लिहाज से कमजोर तिमाही (जुलाई-सितंबर 2022-23) में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन के बाद रियल एस्टेट क्षेत्र में बिक्री की रफ्तार सुदृढ़ बनी हुई है। बढ़त की रफ्तार कायम रखने के अलावा सूचीबद्ध रियल्टी कंपनियां कीमतों में इजाफा कर रही हैं और इस तरह से उच्च ब्याज दर और बढ़ती इनपुट लागत के कुछ दबाव को घटाने में कामयाब रही हैं। रियल्टी की दिग्गज कंपनियों की बिक्री की रफ्तार वित्त वर्ष 23 की दूसरी तिमाही में क्रमिक आधार पर करीब 8 और सालाना आधार पर 29-31 फीसदी रही।
इलारा कैपिटल के विश्लेषक रूपेश संखे ने कहा, आम तौर पर नरम रहने वाली दूसरी तिमाही में प्रदर्शन मजबूत रहा। इसके अलावा कैलेंडर वर्ष 2022 के नौ महीने में आवासीय बिक्री पहले ही कोविड-पूर्व की सालाना बिक्री से ज्यादा हो गई है और यह 2014 के सर्वोच्च स्तर के पार निकलने की राह पर है। यहां तक कि रियल एस्टेट के व्यापक बाजार की बात करें तो देश भर में आवासीय बिक्री सालाना आधार पर 24 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 19 करोड़ वर्गफुट पर पहुंच गई और सभी क्षेत्रों में मजबूत मांग देखी गई।
कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज (केआईई) के विश्लेषक मुर्तजा आरसीवाला और प्रतीक वरसागड़े ने कहा कि यह लगातार पांचवीं तिमाही है जब बिक्री 15 करोड़ वर्गफुट से ज्यादा रही, जो मजबूत अंतर्निहित मांग का संकेत दे रहा है। दूसरी तिमाही के बाद भी आवासीय मांग मजबूत बनी हुई है और सात अग्रणी शहरों में अक्टूबर में सालाना आधार पर 13 फीसदी का इजाफा हुआ जबकि मासिक आधार पर उसमें 3 फीसदी का इझाफा हुआ। आपूर्ति (नई पेशकश) हालांकि कम है, लेकिन मांग में तेजी बनी हुई है, लिहाजा इन्वेंट्री घट रही है।
नूवामा रिसर्च के मुख्य विश्लेषकों परवेज काजी और वासुदेव गनात्रा ने कहा, नई पेशकश लगातार घट रही है और मासिक आधार पर यह 39 फीसदी घटा जबकि सालाना आधार पर 53 फीसदी और यह 18 महीने का निचला स्तर रहा। कैलेंडर वर्ष 22 में अब तक मांग में 33 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है जबकि आपूर्ति में सालाना आधार पर 18 फीसदी का इजाफा हुआ है।ऐसी प्रवृत्ति को देखते हुए इस साल अक्टूबर में इन्वेंट्री घटकर 19 महीने की रह गई, जो पिछले साल अक्टूबर में 27 महीने की रही थी। विश्लेषकों का मानना है कि मांग की रफ्तार टिकी रहेगी और खरीदारी भी ठीक-ठाक बनी रहेगी, जिसे अफोर्डेबिलिटी के उच्चस्तर से सहारा मिलेगा। साथ ही मॉर्गेज की दर व हाउसिंग की कीमत में बढ़ोतरी का इस पर असर नहीं होगा। इस साल अब तक कीमत की शक्ति मजबूत बनी हुई है। सितंबर तिमाही में राजस्व की रफ्तार की अगुआई वॉल्यूम के बजाय कीमत की रफ्तार ने की।
मोतीलाल ओसवाल रिसर्च के विश्लेषकों प्रीतेश सेठ व सौरभ गिल्डा ने कहा कि 12 अग्रणी सूचीबद्ध रियल्टी कंपनियों की बिक्री कीमत में दूसरी तिमाही के दौरान सालाना आधार पर 25 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली, जो संकेत देता है कि लागत का दबाव पूरी तरह से ग्राहकों पर डाल दिया गया है। मॉर्गेज की दर छह महीने में 170 आधार अंकों का इजाफा हुआ है, जिससे ईएमआई में 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई यानी 1 करोड़ रुपये को होम लोन की अवधि में 10 साल का इजाफा हो गया।
बाजार हालांकि बढ़ते ब्याज दर के माहौल में मांग पर असर और बढ़ती इनपुट लागत में इजाफे के कारण मार्जिन में नरमी को लेकर चिंतित है। कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज ने कहा कि खरीदारी के माहौल के बीच बाजार हिस्सेदारी में लगातार बढ़ोतरी और रियल एस्टेट की बढ़ती कीमतों के कारण यह शायद काम नहीं करेगा। अग्रणी फर्मों की बाजार हिस्सेदारी में बढ़ोतरी टिकी रहेगी। नूवामा रिसर्च को उम्मीद है कि अच्छे लैंड बैंक वाली कंपनियां मसलन डीएलएफ, शोभा और मैक्रोटेक डेवलपर्स (लोढ़ा ग्रुप) को दोबारा रेटिंग का फायदा मिलेगा क्योंकि हाउसिंग की बिक्री को लेकर निवेशकों का भरोसा बढ़ता जा रहा है।
मोतीलाल ओसवाल रिसर्च के पसंदीदा शेयर हैं मैक्रोटेक, प्रेस्टीज एस्टेट्स प्रोजेक्ट्स और ब्रिगेड एंटरप्राइजेज। ब्रोकरेज ऐसी कंपनियों को तरजीह दे रही है जिसके पास अगले तीन से चार साल में अच्छी खासी नकदी प्रवाह सृजित करने की क्षमता है और डेवलपमेंट में निवेश करने की भी, जिससे आगे की बढ़त पर स्पष्टता देखने को मिलेगी और उसकी दोबारा रेटिंग होगी।
एलारा कैपिटल भी सूचीबद्ध रियल एस्टेट फर्मों को लेकर सकारात्मक नजरिया बनाए हुए है क्योंकि उद्योग में एकीकरण हो रहा है, जिसकी अगुआई उपभोक्ताओं की बदलली प्राथमिकता कर रही है, जिनका झुकाव अब बड़ी व साख वाली फर्मों की पेशकश की ओर हो रहा है। उसने ओबेरॉय रियल्टी, शोभा, महिंद्रा लाइफस्पेस और गोदरेज प्रॉपर्टीज के शेयर खरीदने की सलाह दी है।
बीएसई रियल्टी इंडेक्स ने अक्टूबर की शुरुआत से ही बीएसई सेंसेक्स के मुकाबले थोड़ा कमजोर प्रदर्शन किया है। सूचीबद्ध फर्मों के अच्छे परिदृश्य और बाजार हिस्सेदारी में इजाफे को देखते हुए निवेशक गिरावट में खरीदारी पर विचार कर सकते हैं।