विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) ने सुप्रीम ट्रेडलिंक्स प्राइवेट लिमिटेड (एसटीपीएल) पर उत्पादन का कम से कम 50 फीसदी निर्यात करने का आदेश दिया है।
एसटीपीएल की 100 फीसद इक्विटी मार्क्स ऐंड स्पेंसर्स रिलायंस प्राइवेट लिमिटेड खरीद रही है। मार्क्स ऐंड स्पेंसर्स रिलायंस प्राइवेट लिमिटेड दोनों कंपनियों का संयुक्त उपक्रम है, जिसमें मार्क्स ऐंड स्पेंसर्स की हिस्सेदारी 51 फीसदी है।
माना जा रहा है कि यह कंपनी वह उत्पाद भी बनाती है जिनके उत्पादन का अधिकार देश के छोटे उद्योगों को ही दिया गया है। इसीलिए कंपनी को 50 फीसदी उत्पाद निर्यात करने के लिए कहा गया है। भारत में पहले एसटीपीएल के पास ही फ्रेंचाइजी के जरिए मार्क्स ऐंड स्पेंसर्स के नाम का इस्तेमाल करने का अधिकार था। एसटीपीएल के मालिकाना हक प्लैनेट रिटेल होल्डिंग्स के पास है।
प्लैनेट रिटेल में किशोर बियानी के पेंटालून्स की लगभग 49 फीसद इक्विटी है। जबकि इसकी 51 फीसद हिस्सेदारी प्रवासी भारतीय वी पी शर्मा के पास है। एफआईपीबी के पास आए नए प्रस्ताव के तहत एसटीपीएल को एक परिचालन कंपनी से एक होल्डिंग कंपनी में तब्दील कर दिया जाएगा। एफआईपीबी ने इस प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी है।
दरअसल, भारतीय नीति के अनुसार जिस कंपनी में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश हो वह कंपनी उन उत्पादों का निर्माण कर सकती है जिन्हें बनाने का अधिकार छोटे उद्योगों के लिए सुरक्षित रखा गया है। लेकिन इस अनुमति के बावजूद एक शर्त यह भी है कि फिर उस कंपनी को अपने कुल उत्पादन का कम से कम 50 फीसद हिस्सा निर्यात करना होगा।
मार्क्स ऐंड स्पेंसर्स भारत में पिछले दो साल से फ्रेंचाइजी मॉडल के जरिए कारोबार कर रही है। लेकिन इसे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नहीं माना गया था। लेकिन रिटेल कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए जैसे ही भारतीय सरकार ने विदेशी कंपनियों को स्थानीय कंपनियों में 51 फीसद हिस्सेदारी खरीदने की छूट दी, मार्क्स ऐंड स्पेंसर्स ने रिलायंस के साथ संयुक्त उपक्रम भी बना लिया।