मंदी की आहट उद्योग जगत के दिग्गजों को भी सुनाई दे रही है और उन्होंने भी आखिरकार यह मान ही लिया है कि तमाम उद्योगों पर इसका असर जरूर पड़ेगा।
दिग्गज कारोबारी और टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा ने भी आज कहा कि लागत और कच्चे माल की कीमत बढ़ने से इस्पात उद्योग में मंदी का दौर देखने को मिलेगा। टाटा ने कहा कि बुनियादी ढांचे की मांग लगातार बढ़ेगी और इसी वजह से इस्पात की मांग में भी इजाफा होता रहेगा। लेकिन लागत और कच्चे माल के बोझ से मंदी आना तय है।
गौरतलब है कि साल भर के अंदर लौह अयस्क की कीमत तकरीबन 85 फीसद बढ़ी है और कोकिंग कोल की कीमत में 200 फीसद का इजाफा हुआ है। समूह की प्रमुख कंपनी टाटा स्टील की वार्षिक आम बैठक के दौरान टाटा ने कहा कि लागत बढ़ने से भारत ही नहीं दुनिया भर की इस्पात कंपनियों के मार्जिन में कमी आ रही है।
लेकिन इस कमी को बाजार सह लेगा क्योंकि उसी के मुताबिक इस्पात के दाम में इजाफा भी किया जा रहा है। टाटा केंद्र सरकार के निवेश आयोग के प्रमुख भी हैं। उन्होंने कहा, ‘निकट भविष्य की बात करें, तो इस्पात की कीमतों को लौह अयस्क और कोकिंग कोल की कीमतें ही तय करेंगी और उनमें लगातार इजाफा हो रहा है।
बदकिस्मती की बात है कि दुनिया भर में ज्यादातर लौह अयस्क खानें तीन बड़ी कंपनियों की मुट्ठी में हैं। इन खानों में दुनिया भर का 70फीसद लौह अयस्क और खनिज है।’ टाटा ने वार्षिक रिपोर्ट में अपने बयान में भी इस बात का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इस्पात का उत्पादन करने वाली दुनिया की दस सबसे बड़ी कंपनियां मिलकर वैश्विक उत्पादन का महज 28 फीसद हिस्सा ही दे पाती हैं।
लेकिन नामी इस्पात कंपनी कोरस का अधिग्रहण करने वाले टाटा ने उम्मीद का दामन भी नहीं छोड़ा। उन्होंने कहा कि आर्थिक गतिविधियों की बुनियाद तो इस्पात से ही डाली जाएगी क्योंकि इसके बिना किसी भी तरह का निर्माण कार्य नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा, ‘विकासशील देशों में इस्पात की मांग जारी रहेगी और भारत, चीन तथा ब्राजील जैसे देशों में बुनियादी ढांचे की वजह से इस्पात का कारोबार जोरों पर रहेगा। आने वाले साल में इन्हीं देशों से इस उद्योग को ज्यादा उम्मीदें हैं।’
बढ़ गया शुद्ध मुनाफा
टाटा स्टील के शुद्ध मुनाफे में जून को समाप्त तिमाही के दौरान 62.49 फीसद का इजाफा हो गया। यह आंकड़ा 3,914.62 करोड़ रुपये हो गया। कंपनी के मुताबिक इसमें पिछले साल अधिग्रहीत कंपनी कोरस का मुनाफा भी शामिल है।