इस्पात कंपनियां जनवरी से मार्च तिमाही के दौरान अधिक बिक्री की उम्मीद कर रही हैं। उनका मानना है कि चौथी तिमाही के दौरान वाहन श्रेणी से मांग में सुधार दिखेगा। तीसरी तिमाही के दौरान कमजोर त्योहारी मांग और आपूर्ति पक्ष की बाधाओं के कारण बिक्री की रफ्तार सुस्त रही थी।
तीसरी तिमाही के दौरान दोपहिया श्रेणी को कमजोर मांग का झटका लगा जबकि आपूर्ति संबंधी समस्याओं के कारण यात्री वाहन श्रेणी की रफ्तार को ब्रेक लग गया था। इस्पात विनिर्माताओं के अनुसार, मौजूदा रुझानों से पता चलता है कि वाहन श्रेणी से इस्पात के उठाव के संदर्भ में चौथी तिमाही बेहतर रहेगी।
आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया (एएम/एनएस इंडिया) के मुख्य विपणन अधिकारी रंजन धर ने कहा कि जनवरी से मार्च तिमाही के लिए वाहन क्षेत्र से काफी सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि संभावित मांग काफी दमदार है और हमें आवंटन बढ़ाने के लिए कहा गया है।’ कंपनी चौथी तिमाही के दौरान वाहन क्षेत्र से तीसरी तिमाही के मुकाबले 15 से 20 फीसदी अधिक उठाव की उम्मीद कर रही है।
जेएसडब्ल्यू स्टील के निदेशक (वाणिज्यिक एवं विपणन) जयंत आचार्य ने कहा कि जनवरी से मार्च तिमाही पिछले साल की चौथी तिमाही से भी बेहतर दिख रही है। उन्होंने कहा, ‘कई यात्री वाहनों के लिए प्रतीक्षा अवधि है जिससे अच्छी मांग की झलक मिलती है।’
आचार्य ने कहा, ‘हम वाहन क्षेत्र से मांग में सुधार दर्ज कर रहे हैं। अक्टूबर से नवंबर के दौरान कुछ नरमी दिखी थी लेकिन दिसंबर के बाद वाणिज्यिक एवं यात्री यानी दोनों वाहन श्रेणियों से मांग में सुधार हुआ है।’
वित्त वर्ष 2022 की दूसरी तिमाही में जेएसडब्ल्यू स्टील की कुल घरेलू बिक्री में वाहन श्रेणी का योगदान करीब 19 फीसदी रहा था। हालांकि फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि चिप की किल्लत कितनी जल्दी खत्म हो जाएगी लेकिन विश्लेषकों ने उम्मीद जताई है कि व्यवधानों में धीरे-धीरे सुधार होगा। अगले दो साल के दौरान वाणिज्यिक वाहन एवं यात्री वाहन श्रेणियों से जबरदस्त वृद्धि की उम्मीद की जा रही है।
कार के कुल वजन में इस्पात की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी होती है जबकि दोपहिया के मामले यह आंकड़ा थोड़ा कम है। वाहन कंपनियों की करीब 90 फीसदी इस्पात जरूरतों को टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील और एएम/एनएस इंडिया द्वारा पूरा किया जाता है।
जहां तक कच्चे माल की लागत में हिस्सेदारी का सवाल है तो कार के लिए कुल कच्चे माल की लागत में इस्पात की हिस्सेदारी करीब 8 फीसदी होती है जबकि दोपहिया के मामले यह आंकड़ा 7 फीसदी और वाणिज्यिक वाहन के मामले 9 फीसदी है।
वाहन अनुबंध
इस्पात कंपनियों ने नवंबर और दिसंबर में दूसरी छमाही के लिए वाहन कंपनियों के साथ अनुबंध निर्धारित किए हैं। आचार्य ने कहा, ‘वाहन कंपनियों के साथ हमारे अनुबंधों को नवंबर/ दिसंबर में अंतिम रूप दिया गया है।’ प्लैट इस्पात (हॉट रोल्ड/ कोल्ड रोल्ड) के लिए प्रति टन 9,500 से 10,000 रुपये की वृद्धि की गई है जबकि लॉन्ग श्रेणी में यह आंकड़ा 4,600 से 4,700 रुपये प्रति टन है। आचार्य ने कहा कि यह वृद्धि अक्टूबर से मार्च 2022 की अवधि के लिए लागू होगी।
धर ने कहा कि एएम/एनएस इंडिया ने वाहन कंपनियों के साथ अनुबंधों को सबसे पहले अंतिम रूप दिया और कंपनी छह महीने के चक्र में भी लौट आई है।
आमतौर पर वाहन कंपनियों के साथ अनुबंध छह महीने के लिए निर्धारित किए जाते रहे हैं। लेकिन पिछले साल इस्पात की कीमतों में लगातार हो रही तेजी के मद्देनजर कंपनियां तिमाही अनुबंध करने लगी थीं। दिसंबर में इस्पात की कीमतों में भारी गिरावट आई और फिलहाल वह अनुबंध मूल्य से भी नीचे है।