दिसंबर में कीमतों में भारी कमी के बाद स्टील कंपनियों ने जनवरी में कीमतें रोलओवर की हैं और उनका मानना है कि बाजार ने शायद निचला स्तर छोड़ दिया है। स्टीलमिंट के आंकड़ों के मुताबिक, फ्लैट स्टील के बेंचमार्क हॉट रोल्ड कॉइल (एचआरसी) की कीमतें दिसंबर की शुरुआत में 67,500 रुपये प्रति टन थीं जबकि दिसंबर के आखिर में 63,100 रुपये प्रति टन। लॉन्ग प्रॉडक्ट्स में रीबार की कीमतें दिसंबर के शुरू में 57,500 रुपये प्रति टन थीं, जो उस महीने के आखिर में 54,500 रुपये प्रति टन रहीं।
कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि देसी स्टील मिलों ने दिसंबर 2021 में एचआरसी की कीमतें 2,500-3,000 रुपये प्रति टन कम कीं, लेकिन डीलरों को अतिरिक्त छूट दी गई।
कंपनियों का हालांकि मानना है कि यहां से कीमतें सीमित दायरे में रहेंगी। जेएसडब्ल्यू स्टील के निदेशक (वाणिज्यिक व विपणन) जयंत आचार्य ने कहा, हमने इस महीने कीमतें रोलओवर की है और मेरा मानना है कि बाजार ने निचले स्तर को छोड़ दिया है। जो भी कटौती होनी थी, दिसंबर में हो गई।
आर्सेलर निप्पॉन स्टील इंडिया (एएम/एनएस इंडिया) के मुख्य विपणन अधिकारी रंजन धर को भी कीमतें दिसंबर के स्तर से नीचे जाती नजर नहीं आ रही है। उन्होंने कहा, दिसंबर में कीमतें पहले ही करीब 6 से 8 फीसदी तक घट चुकी हैं। ट्रेडर कीमत पर दिशानिर्देश की प्रतीक्षा कर रहे थे, जो अब उन्हें मिल चुका है, ऐसे में यह निचला स्तर है।
कीमत के कारक
कीमतें इस स्तर पर बने रहना कई चीजों पर निर्भर करता है। भारत की कीमतें आयाचित कीमतों के बराबर है, लेकिन कंपनियों का कहना है कि यह अभी भी वैश्विक स्तर पर सबसे कम कीमतों में से एक है। धर ने कहा, आज कीमतें न्यूनतम प्राइस के बराबर है, जो कम कीमत वाले देशों से आयातित कीमतोंं से समान है और अभई भी ईय व यूएसए से 200 से 500 डॉलर की छूट पर है।
धर ने कहा, साथ ही उच्च लागत कीमतोंं में किसी बड़ी गिरावट को रोक सकता है। भारतीय मिलों पर लागत का दबाव चौथी तिमाही में महसूस किया जाएगा क्योंकि कोकिंग कोल की कीमतें हाल में उच्चस्तर पर पहुंची हैं।
कोकिंग कोल की कीमतें 400 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई थीं, हालांकि अब यह घटकर 340 डॉलर प्रति टन पर आ गई है। आचार्य ने कहा, कोकिंग कोल की लागत के कारण कई महीनों तक मार्जिन पर दबाव रह सकता है। हमें उम्मीद है कि आगामी महीनों में कोकिंग कोल की कीमतें घटेंगी, जिससे मार्जिन को सहारा मिलेगा।
सीमित दायरे में कीमतें रहने की एक अन्य अहम वजह चीन की कीमतें हैं, जो और नीचे शायद ही जाएंगी। धर ने कहा, दुनिया भर में इन्वेंट्री का स्तर नीचे है, ऐसे में आने वाले समय में हम वास्तव में कीमतों में कुछ तेजी देख सकते हैं।
देसी मांग
कीमत पर असर डालने वाला मुख्य कारक देसी मांग हो सकता है। आचार्य ने कहा, हम मांग के अच्छे सीजन की ओर बढ़ रहे हैं। वाहन क्षेत्र से मांग निकल रही है, बुनियादी ढांचा व निर्माण क्षेत्र में काफी गतिविधियां दिख रही हैं, वहीं अप्लायंसेज व पैकेजिंग अब तक की सबसे ज्यादा बिक्री से रूबरू हो रहा है। लोग नए साल में फील गुड फैक्टर के साथ प्रवेश कर रहे हैं, वहीं कोविड की मौजूदा लहर को लेकर सतर्कता के साथ आशावाद भी है।
निर्यात का मामला सर्वोच्च स्तर से नीचे आया है। धर हालांकि कह रहे हैं कि निर्यात का मजबूत ऑर्डर बुक वापस आ गया है। उन्होंंने कहा, सर्वोच्च स्तर की हद तक तो नहीं, लेकिन इसमें तेजी आ रही है।