उड़ीसा में लौह एवं इस्पात क्षेत्र में निवेश गतिविधियों में तेजी आने के बाद घरेलू एवं विदेशी इस्पात कंपनियां अपनी प्रस्तावित बड़ी इकाइयों के इर्द-गिर्द लघु एवं मझोले उद्यमों (एसएमई) को सहयोगी इकाइयों के तौर पर विकसित किए जाने की संभावना तलाश रही हैं।
राज्य के कलिंग नगर में 60 लाख टन की इस्पात परियोजना विकसित कर रही टाटा स्टील ने सहायक इकाइयों में 12,000 करोड़ रुपये के मूल्य वाले व्यावसायिक अवसरों की पहचान की है। कलिंग नगर देश के प्रमुख स्टील हब के रूप में उभर रहा है।
टाटा स्टील की कलिंग नगर परियोजना के सहायक महा प्रबंधक (इस्पात प्रौद्योगिकी) के. शंकर मरार ने कहा, ‘सहायक इकाइयों के लिए संचालन एवं रखरखाव, विशेष बुनियादी सेवाओं, विशेष समर्थन सेवाओं, संवर्द्धन और टाउनशिप प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में अवसर मौजूद हैं।
इन क्षेत्रों में सहायक इकाइयों के रूप में स्थानीय लघु एवं मझोले उद्यमों के विकास के लिए अलग कार्य मॉडल हो सकते हैं और ऐसे ही एक मॉडल में टाटा स्टील शामिल है। अन्य कई इस्पात इकाइयां उड़ीसा में अपनी सहायक इकाइयों के साथ मिल कर काम कर रही हैं।’
मरार का यह भी मानना है कि सहायक भागीदारों, सहायक इकाइयों में एसएमई के लिए संभावित अवसरों पर जागरूकता पैदा करने के लिए स्थानीय औद्योगिक निकायों से जुड़े लोगों की संभावित जरूरतों को संगठित किए जाने पर जोर दिया जाना चाहिए।
अन्य इस्पात कंपनी जेएसएल भी उड़ीसा के जाजपुर जिले में अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) के हिस्से के रूप में सहायक स्टेनलेस स्टील उद्योगों पर आधारित औद्योगिक पार्क को विकसित करने में दिलचस्पी दिखा रही है। इसे लगभग 700 करोड़ रुपये के निवेश से विकसित किया जा रहा है।
जेएसएल इस परियोजना का बिजनेस प्लान तैयार किए जाने के लिए अमेरिकी कंसल्टेंट सीबी रिचर्ड एलिस की मदद ले रही है। इस परियोजना से सहायक उद्योगों के लिए अवसरों का पता लगाया जाएगा। इस एसईजेड से प्रत्यक्ष रूप से 3800 श्रमिकों और अप्रत्यक्ष रूप से 1200 अन्य लोगों को रोजगार मिलेगा।
इस्पात कंपनी पोस्को बंदरगाह शहर पारादीप के पास 1.2 करोड़ टन क्षमता वाले इस्पात संयंत्र के लिए लगभग 52,000 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा कर चुकी है। पोस्को भी इस क्षेत्र में सहायक इकाइयों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और उसने इस इलाके में मौजूद अवसरों पर एक अध्ययन के लिए आईआईटी-खड़गपुर की सेवा ली है।
पोस्को इंडिया के लिए आईआईटी-खड़गपुर द्वारा कराए गए एक अध्ययन के अनुसार संरचनात्मक इस्पात, तैयार मिश्रित कंक्रीट, रिफ्रेक्शनरी, कंक्रीट पाइल, पाइप, प्रोपेलर शाफ्ट और भट्टी निर्माण के क्षेत्रों में लघु एवं मझोले उद्यमियों के लिए अवसर मौजूद हैं।
अध्ययन के मुताबिक इन उद्यमियों के लिए इस्पात जांच, मोल्ड फ्लक्स, थर्मो सामग्री, संरचना का निर्माण, कन्वेयर बेल्ट और इलेक्ट्रिकल उपकरणों की मरम्मत जैसे अन्य परिचालन क्षेत्रों में भी अवसर मौजूद हैं।
अध्ययन में बताया गया है कि रिफ्रेक्शनरी क्षेत्र में 320 करोड़ रुपये, सीमेंट में 44 करोड़ रुपये, हाइड्रोलिक हॉजेज में 2.5 करोड़ रुपये और वायर रॉड में 4 करोड़ रुपये के व्यावसायिक अवसर मौजूद हैं। पोस्को इंडिया की परियोजना के पहले चरण में 35,728 श्रम आधारित नौकरियां और 30,420 प्रौद्योगिकी आधारित नौकरियां सृजित होंगी।
कई प्रमुख इस्पात कंपनियां सहायक इकाइयों के लिए व्यावसायिक अवसरों की तलाश कर रही हैं। इस्पात कंपनी आरती स्टील राज्य में अपने इस्पात संयंत्र के लिए एसएमई को सहायक इकाइयों के तौर पर विकसित करने के लिए पहल शुरू कर दी है।
आरती स्टील के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘हमने मार्च, 2008 तक 47 स्थानीय भागीदारों से लगभग 37 करोड़ रुपये मूल्य के सामान और कलपुर्जे खरीदे। आरती स्टील ने स्थानीय उद्यमियों को लाभान्वित करने के लिए अपने इस्पात संयंत्र के पास दो फोर्जिंग इकाइयों को विकसित करने की योजना बनाई है। हमने इन इकाइयों के लिए भूमि मुहैया कराए जाने के लिए इडको से संपर्क किया है।’
उड़ीसा सरकार निजी इस्पात कंपनियों के साथ समझौता स्तर पर एक खंड शामिल किए जाने पर विचार कर रही है जो यह सुनिश्चित करेगा कि बड़े उद्योग सहायक इकाइयों के विकास के लिए जरूरत कदम उठाएंगे। सहायक इकाइयों के विकास के लिए इस्पात इकाइयों द्वारा उठाए जाने वाले कदमों पर जिले के कलेक्टरों और राजस्व जिला आयुक्तों जैसे अधिकारियों द्वारा नजर रखी जाएगी।