जोमैटो के संस्थापक व मुख्य कार्याधिकारी दीपिंदर गोयल ने शुक्रवार को कहा कि निवेशकों को उन कंपनियों के सार्वजनिक निर्गम से दूर रहना चाहिए जिसके आईपीओ में द्वितीयक शेयरों की हिस्सेदारी ज्यादा हो।
गोयल ने सीआईआई की तरफ से आयोजित ऑनलाइन वेबिनार में कहा, हमारे आईपीओ का करीब 95-98 फीसदी हिस्सा प्राथमिक फंड जुटाने का जरिया था। द्वितीयक शेयर बिक्री में उच्च कीमत का दबाव होता है और ऐसी कीमत पर लोग कमाई नहीं कर पाते। मैं लोगों को सलाह देता हूं कि वे द्वितीयक शेयर बिक्री वाले आईपीओ से दूर रहें। मौजूदा निवेशकों और जुडऩे वाले निवेशकों के बीच हितों का बड़ा टकराव होता है।
करीब 60,000 करोड़ रुपये के मूल्यांकन पर 9,375 करोड़ रुपये के बड़े आईपीओ के बावजूद जोमैटो के आईपीओ को इस साल जुलाई में 38 गुना आवेदन मिले। उसका शेयर सूचीबद्धता पर आईपीओ कीमत से 80 फीसदी से ज्यादा उछला।
जोमैटो के सीइओ ने नौकरी डॉट कॉम के संस्थापक संजीव बिखचंदानी के उस ईमेल पर भी बात की, जिसमें उन्होंंने कहा है कि कंपनी को आईपीओ की कीमत कैसे तय करनी चाहिए। जोमैटो में नौकरी डॉट कॉम शुरुआती निवेशकों में शामिल थी और अभी भी फूडटेक कंपनी में उसकी हिस्सेदारी 15 फीसदी से ज्यादा है, जिसका बाजार पूंजीकरण एक लाख करोड़ रुपये से ऊपर है।
गोयल ने कहा, लोग कहते हैं कि जोमैटो ने आईपीओ की कीमत वास्तव में बेहतर रखी थी। अन्य आईपीओ के साथ क्या हो रहा है। संजीव बिखचंदानी ने हमें लंबा ईमेल भेजा था कि कैसे आईपीओ की कीमत तय होनी चाहिए। उन्होंंने कहा था कि निवेशकों के लिए पर्याप्त रकम छोड़ी जानी चाहिए। जब भी गिरावट का दौर होगा तो आपके आईपीओ में खरीदने वाले लोग बेहतर स्थिति में होंगे। अगर आपकी खराब तिमाही होती है तो हर कोई बेचना चाहता है।
नौकरी ने जोमैटो में साल 2010 में 4.7 करोड़ रुपये लगाए थे और फंडिंग के पहले चार दौर में एकमात्र निवेशक थी। उन्होंने कहा, सार्वजनिक निर्गम से कंपनी को लंबी अवधि की रणनीति पर बेहतर तरीके से ध्यान देने में मदद मिली है क्योंंकि निजी निवेशक साप्ताहिक आधार पर कारोबारी प्रदर्शन पर काफी माथापच्ची करते हैं। हमारे पास अनुभव था, जो लोगों की सोच के उलट था। निजी तौर पर लोग साप्ताहिक आंकड़े मांगते हैं। अब यह तिमाही है, जो 12 गुना लंबा है। मैं कहूंगा कि जीवन अब ज्यादा व्यावहारिक है। हम अब कारोबार पर ध्यान दे सकते हैं।
गोयल ने यह भी कहा कि भारतीय कंपनियों के ऊपर भारतीय एक्सचेंजों मेंं सूचीबद्ध होने और देश की संपत्ति सृजन में भागीदारी की जवाबदेही है। अगर ज्यादा कंपनियां सार्वजनिक निर्गम लाएंगी तो वह बड़ी होगी और देश की प्रगति को सहारा देगी। नियुक्ति और पूंजी आवंटन को लेकर हमारी क्षमता अब बेहतर है।
