केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा एजीबी शिपयार्ड के खिलाफ प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज कराए जाने में देरी को लेकर उठे विवाद पर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने आज स्पष्ट किया कि इस देरी के लिए कर्जदाता जिम्मेदार नहीं हैं।
उधर भाजपा ने आज कहा कि एबीजी को काांग्रेस सरकार के कार्यकाल में धन दिया गया था।
संकट में फंसी शिपबिल्डर को आईसीआईसीआई बैंक के नेतृत्व में बने दो दर्जन से ज्यादा कर्जदाताओं के कंसोर्टियम ने कर्ज को विस्तार दिया, जो नवंबर 2013 में गैर निष्पादित संपत्ति में तब्दील हो गया। उसके बाद 2014 में कॉर्पोरेट ऋण पुनर्गठन योजना (सीडीआर) के तहत कर्ज का पुनर्गठन किया गया।
भारतीय स्टेट बैंक ने रविवार को एक बयान में कहा, ‘बहरहाल शिपिंग उद्योग गिरावट के दौर से गुजर रहा था, जो देखे गए अब तक के सबसे बुरे दौर में से एक था, ऐसे में कंपनी का परिचालन बहाल नहीं किया जा सका।’
पुनर्गठन असफल रहा, जिसे देखते हुए जुलाई 2016 में इस खाते को एनपीए के रूप में वर्गीकृत कर दिया गया, जिसे 30 नवंबर, 2013 की पूर्वतिथि से लागू किया गया। अप्रैल 2018 में कर्जदाताओं ने ईवाई को इसके लिए फोरेंसिक ऑडिटर नियुक्त किया और इसने अपनी रिपोर्ट जनवरी 2019 में सौंपी। ईवाई रिपोर्ट को 18 कर्जदाताओं की धोखाधड़ी चिह्नित करने वाली समिति को 2019 में सौंपा गया। धोखाधड़ी मुख्य रूप से धन दूसरी जगह लगाने, दुरुपयोग व विश्वास के आपराधिक हनन को लेकर है।
एसबीआई ने कहा, ‘इसमें आईसीआईसीआई बैंक कर्जदाताओं के कंसोर्टियम की अगुआई कर रहा था और आईडीबीआई दूसरा प्रमुख था। इसके बावजूद सबसे बड़े पीएसबी कर्जदाता होने के कारण एसबीआई ने सीबीआई में शिकायत दर्ज कराने को तरजीह दी। सीबीआई के समक्ष पहली शिकायत नवंबर 2019 में दर्ज कराई गई। सीबीआी और बैंक लगातार मिलकर काम कर रहे थे और सूचनाओं का आदान प्रदान किया गया।’
शुक्रवार को सीबीआई ने एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड और इसके पूर्व चेयरमैन व प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल व अन्य के खिलाफ बैंकों के कंसोर्टियम के साथ 22,842 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसे भारत के बैंकिंग इतिहास में सबसे बड़ी धोखाधड़ी कहा जा रहा है।
अग्रवाल के अलावा जांच एजेंसी ने उस समय के कार्यकारी निदेशक संथानम मुथास्वामी, निदेशक अश्विनी कुमार, सुशील कुमार अग्रवाल और रवि विमल नेवतिया व अन्य कंपनी एबीजी इंटरनैशनल प्राइवेट लिमिटेड को भी धोखाधड़ी, आपराधिक षडय़ंत्र, विश्वास हनन, पद के दुरुपयोग आदि मामलों में आरोपी बनाया है।
एसबीआई ने कहा कि धोखाधड़ी की स्थितियों, सीबीआई की जरूरतों आदि मसलों पर कर्जदाताओं की आगामी संयुक्त बैठक में चर्चा होगी। एसबीआई ने कहा, ‘किसी भी समय प्रक्रिया में देरी की कोई कवायद नहीं की गई थी। कर्जदाताओं का मंच बहुत गंभीरता से इस तरह के सभी मामलों में सीबीआई के साथ संपर्क में रहता है।’ कर्जदाता ने कहा कि जब इसे धोखाधड़ी घोषित किया गया, सीबीआई के पास एक शुरुआती शिकायत दर्ज कराई गई और उनकी जांच के आधार पर आगे और सूचनाएं एकत्र की गईं। कुछ मामलों में जब उल्लेखनीय अतिरिक्त सूचनाएं एकत्र कर ली गईं, संपूर्ण ब्योरे के साथ प्राथमिकी के रूप में मामला दर्ज कराया गया।
