सरकार की ओर से स्टार्टअप इंडिया ऐक्शन प्लान पेश किए जाने के 6 साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 16 जनवरी को राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस मनाने की घोषणा का उद्योग जगत ने स्वागत किया है। साथ ही स्टार्टअप उद्योग से जुड़े हिस्सेदारों ने कहा कि इस क्षेत्र के अगले चरण की वृद्धि के लिए नीतिगत स्तर पर बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल व सकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने 150 से ज्यादा स्टार्टअप के समूह से सप्ताहांत में बात की थी, जहां उन्होंने कहा कि देश जल्द ही यूनीकॉर्न के शतक मारेगा।
वेंचर कैपिटल (वीसी) फर्म 3वन4 कैपिटल के मैनेजिंग पार्टनर सिद्धार्थ पई ने कहा, ‘2016 में स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम पेश किया जाना एक महत्त्वपूर्ण मोड़ था, जब प्रमोटरों को संस्थापक के रूप में जाना जाता था और उसके बाद इंटरप्रेन्योर शब्द आम प्रचलन में आया। लेकिन अब हमें स्टार्टअप इंडिया 2.0 की जरूरत है, जिससे अगले चरण की वृद्धि सुनिश्चित हो सके।’ उन्होंने कहा कि इसमें मझोले, छोटे और कस्बाई शहरों में मुख्यालय वाले स्टार्टअप को प्रोत्साहन दिया जाना शामिल है।
नियोबैंकिंग स्टार्टअप ओपन की सह संस्थापक और सीईओ माबेल चाको ने कहा, ‘एक उद्यमी के रूप में यह देखना उत्साहजनक है कि मजबूत और समावेशी स्टार्टअप संस्कृति बनी है, जिसे नवोन्मेष, तकनीक और मजबूत नीतियों से बल मिल रहा है। इससे छोटे व मझोले शहरों में ज्यादा स्टार्टअप को उभरने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा और से देश की जीडीपी बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकेंगे।’ बहलहाल उन्होंने यह भी गिनाया कि अभी और क्या क्या करने की जरूरत है और कहा कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रवाह और अनुपालन को सरल व प्रभावी बनाए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि शेयर स्वैप अभी भी जटिल प्रक्रिया है, जिसे आसान किया जा सकता है। साथ ही विकासशील प्रतिभाओं को कर छूट देना, विभिन्न योनजाओं व नियामकीय दौर की पात्रता का दायरा नेटवर्थ के बजाय विश्वसनीयता और योग्यता के आधार पर करने की जरूत है।
शनिवार को घोषित नैशनल स्टार्टअप अवार्ड 2021 की विजेता हेल्थकेयर स्टार्टअप बीट ओ के संस्थापक और सीईओ गौतम चोपड़ा ने कहा कि शनिवार को बातचीत में स्टार्टअप की ओर से जो विचार सामने आए हैं, सरकारक को उसे स्वीकार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘हेल्थकेयर की श्रेणी में हमने मंजूरी के लिए नियामकीय प्रक्रिया सरल करने और क्लीनिकल ट्रायल के लिए एम्स जैसे सरकारी मेडिकल संस्थानों की मदद की बात कही है। इसमें प्रधानमंत्री ने भी रुचि दिखाई है।’
स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम के महत्त्वपूर्ण कदमों में से एक था फंडों के फंड का गठन और इसके लिए 10,000 करोड़ रुपये की पूंजी को मंजूरी। यह सेबी के साथ पंजीकृत विभिन्न वैकल्पिक निवेश फंडों (एआईएफ) के अंशदान के लिए था। सरकार के मुताबिक इसकी वजह से विभिन्न एआईएफ के माध्यम से स्टार्टअप में 8,000 करोड़ रुपये निवेश आया और इसके माध्यम से 543 कंपनियों को मदद मिली और 6 दिसंबर तक 6,044 करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता आई है।