निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के मुताबिक केंद्र सरकार और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) आईडीबीआई बैंक में अपनी पूरी या आंशिक हिस्सेदारी एकमुश्त बेचेंगे। आईडीबीआई बैंक के विनिवेश के बारे में पूछे जाने पर अपनी प्रतिक्रिया में दीपम ने कहा, ‘तत्काल लेन-देन में आईडीबीआई बैंक में भारत सरकार और एलआईसी की शेयरधारिता के विनिवेश के साथ प्रबंधन नियंत्रण का हस्तांतरण होगा।’ इस बैंक में सरकार की 45.48 प्रतिशत और एलआईसी की 49.24 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
दीपम ने कहा कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियमों के मुताबिक खुली पेशकश की जा सकती है।
दीपम ने कहा कि अपनी और एलआईसी की हिस्सेदारी की बिक्री के लिए सरकार सिर्फ एक लेन-देन सलाहकार की नियुक्ति पर विचार कर रही है।
सरकार और एलआईसी की कितनी मात्रा में हिस्सेदारी बिकेगी, इस पर फैसला लेन-देन प्रक्रिया में प्रगति, निवेशकों की दिलचस्पी और बाजार की स्थिति के हिसाब से तय किया जाएगा।
मई में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने आईडीबीआई बैंक के रणनीतिक विनिवेश और प्रबंधन पर नियंत्रण के हस्तांतरण की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी। दीपम लेन-देन और कानूनी सलाहकार की नियुक्त पर विचार कर रहा है, जो बैंक के निजीकरण में सरकारक की मदद कर सके।
इसके लिए बोली स्वीकार करने की अंतिम तिथि 9 दिन बढ़ाकर 22 जुलाई कर दी गई है। इसके पहले मध्यस्थों को 13 जुलाई तक अपनी बोली लगानी थी।
इसके अलावा सरकार ने प्रदर्शन गारंटी शुल्क भी 10 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया है, जो लेनदेन सलाहकार को भुगतान करना था।
