देश के बाजार में एक बार फिर कई बड़े सौदों से उत्साह का माहौल है। इन सौदों में रिलायंस इंडस्ट्रीज का 10 अरब डॉलर (76,000 करोड़ रुपये) में यूरोपीय दवा शृंखला बूट्स का संभावित अधिग्रहण, अदाणी और जेएसडब्ल्यू समूहों का अंबुजा सीमेंट्स के लिए बोली लगाना और एचडीएफसी एवं एचडीएफसी बैंक के बड़े विलय शामिल हैं।
वर्ष 2022 के पहले चार महीनों में ही 105 अरब डॉलर से अधिक के विलय एवं अधिग्रहण के सौदे हो चुके हैं, जबकि 2021 के पहले चार महीनों में 44.2 अरब डॉलर मूल्य के सौदे हुए थे। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक कैलेंडर वर्ष 2021 में भारतीय कंपनी जगत में सबसे अधिक 149.4 अरब डॉलर के सौदे हुए थे, जो 2020 के मुकाबले 31.2 फीसदी अधिक थे।
विशेषज्ञों का कहना है कि उद्योग के सभी खंडों में एकीकरण तेज हुआ है। इसका पता एचडीएफसी एवं एचडीएफसी बैंक और मल्टीप्लेक्स ऑपरेटर पीवीआर एवं आइनॉक्स के विलय से चलता है क्योंकि धनी कंपनियां आकर्षक कीमतों पर प्रतिस्पर्धी कंपनियों को खरीद रही हैं। एक प्रमुख कॉरपोरेट लॉ फर्म डीएसके लीगल में पार्टनर अपराजित भट्टाचार्य ने कहा, ‘पहली तिमाही (कैलेंडर वर्ष 2022) के दौरान अहम सकारात्मक सौदे हुए हैं। ज्यादातर कंपनियों का परिचालन कोविड से पहले के स्तरों पर लौट आया है, ज्यादा बैठकें आमने सामने बैठकर हो रही हैं और सौदे बिना देरी के तेजी से हो रहे हैं, जिससे सौदों की संख्या बढ़ रही है।’
दिग्गज वैश्विक कंपनियों के बीच स्थानीय कंपनियों को खरीदकर भारत के विभिन्न क्षेत्रों में प्रवेश करने की रुचि बढ़ी है। राउंड द क्लॉक सोलर (आरटीसी), बैटरी स्टोरेज, हरित हाइड्रोजन जैसे उन क्षेत्रों में अरबों डॉलर के संयुक्त उद्यमों की घोषणा हो रही है, जिनका अभी दोहन नहीं हुआ है। रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी भारतीय कंपनियां विदेश में अधिग्रहण कर रही हैं। फाइनैंशियल टाइम्स ने बुधवार को खबर दी थी कि रिलायंस ने बूट्स को खरीदने के लिए दिग्गज प्राइवेट इक्विटी फर्म अपोलो ग्लोबल के साथ हाथ मिलाया है।
आईपीओ से पहले के सौदे भी बढ़ रहे हैं, जिससे विलय एवं अधिग्रहण में तेजी आई है। भट्टाचार्य ने कहा, ‘एकीकरण और सामूहिक ताकत का लाभ उठाना एक नियम बन गया है और यह सही भी है। बाजार में उत्साह है। इसे उम्मीद है कि 2022 वर्ष 2021 से भी बेहतर साबित होगा।’
बैंक अधिकारियों ने कहा कि इस समय सभी की नजरें स्विट्जरलैंड की प्रवर्तक होल्सिम द्वारा अंबुजा सीमेंट्स और उसकी सहायक एसीसी की बिक्री पर टिकी हुई हैं। इस सौदे में बोलीदाता इन कंपनियों के अधिग्रहण के लिए 76,000 करोड़ रुपये तक की राशि खर्च करेंगे।
