स्पाइसजेट ने आज कहा कि मद्रास उच्च न्यायालय के परिसमापन के आदेश के खिलाफ प्रस्तावित अपील में उसे अनुकूल नतीजे की उम्मीद है। 2.4 करोड़ डॉलर का बकाया न चुकाने के कारण क्रेडिट सुइस की तरफ से दाखिल याचिका पर उच्च न्यायालय ने सोमवार को विमानन कंपनी के परिसमापन का आदेश दिया था। अदालत ने कंपनी की परिसंपत्ति के अधिग्रहण के लिए आधिकारिक परिसमापक की नियुक्ति का आदेश भी दिया। विमानन कंपनी की याचिका पर इस आदेश को तीन हफ्ते तक स्थगित रखा गया। इसके साथ शर्त यह भी कि विमानन कंपनी अदालत में दो हफ्ते के भीतर 50 लाख डॉलर जमा कराएगी।
विमानन कंपनी ने एक्सचेंजों को भेजी सूचना में कहा, कंपनी इस आदेश की जांच कर रही है और मद्रास उच्च न्यायालय की तरफ से दी गई तय समयसीमा में इसके खिलाफ अपील करेगी। कंपनी का मानना है कि मामले में दम है और उसे अपील पर अनुकूल फैसला आने की उम्मीद है।
इसके साथ ही स्पाइसजेट अपने क्रेडिटर व सप्लायर संग बातचीत भी कर रही है ताकि अदालती आदेश से जुड़ी उनकी चिंता दूर की जा सके और उन्हें कंपनी रकम जुटाने की योजना की भी जानकारी दे रही है। कंपनी को उम्मीद है कि उसे अगले कुछ हफ्ते में बोइंग से मुआवजे की पहली किस्त मिल जाएगी और वह इसका इस्तेमाल सांविधिक बकाए के भुगतान पर कर सकेगी।
मद्रास उच्च न्यायालय में दी गई याचिका साल 2011 में इंजन रखरखाव अनुबंध से संबंधित है, जिस पर कंपनी ने स्विस फर्म एसआर टेक्निक्स के साथ हस्ताक्षर किए थे। एसआर टेक्निक्स ने क्रेडिट सुइस संग 2012 में फाइनैंसिंग करार किया था और उसे मौजूदा व भविष्य की प्राप्तियां हासिल करने का अधिकार दिया गया था। उसने परिसमापन याचिका दाखिल की क्योंंकि स्पाइसजेट विभिन्न इनवॉइस के तहत भुगतान में नाकाम रही।
