विमानों में तकनीकी खराबी के कई मामले सामने आने के बाद 27 जुलाई को स्पाइसजेट पर लगाई गई 50 प्रतिशत सीट क्षमता को 30 अक्टूबर से हटा लिया जाएगा। नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने शुक्रवार को भारतीय एयरलाइनों के विंटर सीजन को भी मंजूरी प्रदान की। नियामक ने कहा है कि गो फर्स्ट इस साल जाड़े के मौसम में एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 39.3 प्रतिशत कम साप्ताहिक उड़ानों के साथ परिचालन करेगी।
एक अधिकारी ने कहा कि गो फर्स्ट के 20 से ज्यादा विमान मौजूदा समय में प्रैट ऐंड व्हिटनी इंजन आपूर्ति समस्याओं की वजह से परिचालन में नहीं हैं। इंजन आपूर्ति समस्याओं से उड़ान क्षमता प्रभावित हो रही है। विमानन कंपनियों के लिए विंटर सीजन 30 अक्टूबर से शुरू हो रहा है और अगले साल 25 मार्च तक चलेगा।
स्पाइसजेट और गो फर्स्ट ने इस बारे में बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया है। नियामक ने कहा है कि गो फर्स्ट इस इस विंटर सीजन के दौरान प्रति सप्ताह 1,390 उड़ानें संचालित करेगी, जबकि पिछले विंटर सीजन के दौरान प्रति सप्ताह यह संख्या 2,290 थी।
स्पाइसजेट के विमानों में 19 जून और 5 जुलाई के बीच कम से कम आठ बार तकनीकी खराबी आई थी, जिसके बाद 6 जुलाई को डीजीसीए ने एयरलाइन को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
27 जुलाई को, नियामक ने एयरलाइन से आठ सप्ताह तक स्वीकृत उड़ानों (4,192 साप्ताहिक उड़ानों) के 50 प्रतिशत से ज्यादा संचालित नहीं करने को कहा था। इसका मतलब है कि एयरलाइन से सप्ताह में 2,096 से ज्यादा उड़ानें संचालित नहीं करने को कहा गया था। 21 सितंबर को, डीजीसीए ने कहा कि यह सीमा 29 अक्टूबर तक बनी रहेगी। हालांकि तब नियामक ने कहा था कि घटनाओं की संख्या घटी है, लेकिन सतर्कता बरतने की जरूरत है।
डीजीसीए ने शुक्रवार को कहा कि स्पाइसजेट इस विंटर सीजन के दौरान प्रति सप्ताह करीब 3,193 उड़ानें संचालित करेगी, जबकि पिछले सीजन में प्रति सप्ताह यह संख्या 2,995 थी। डीजीसीए के अनुसार, भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो इस सीजन में प्रति सप्ताह 10,085 उड़ानें संचालित करेगी, जो गर्मी के मौसम के मुकाबले 1.54 प्रतिशत कम है।