केंद्र के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सीपीएसई) ने वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के दौरान साल के 6.62 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय के लक्ष्य का 43 फीसदी व्यय किया है। इसकी तुलना में पिछले वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही में कंपनियों ने 5.95 लाख करोड़ रुपये सालाना व्यय के लक्ष्य का 37 फीसदी खर्च किया था। सीपीएसई ने जहां वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही में 2.8 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय किया है, वहीं वित्त
वर्ष 2022 की पहली छमाही में कंपनियों ने 2.19 लाख करोड़ रुपये खर्च किए थे। इसमें 27.85 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। एक सूत्र ने कहा कि सीपीएसई पूंजीगत व्यय के लक्ष्य को गंभीरता से ले रही हैं। इन सीपीएसई द्वारा किए गए समझौता ज्ञापन में एक मानक पूंजीगत व्यय को भी रखा गया है।
केंद्र के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सीपीएसई) ने वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के दौरान साल के 6.62 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय के लक्ष्य का 43 प्रतिशत व्यय किया है। इसकी तुलना में पिछले वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही में कंपनियों ने 5.95 लाख करोड़ रुपये सालाना व्यय के लक्ष्य का महज 37 प्रतिशत खर्च किया था।
सीपीएसई ने जहां वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही में 2.8 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय किया है, वहीं वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही में कंपनियों ने 2.19 लाख करोड़ रुपये खर्च किए थे। इसमें 27.85 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
एक सूत्र ने कहा, ‘सीपीएसई पूंजीगत व्यय के लक्ष्य को गंभीरता से ले रही हैं। इन सीपीएसई द्वारा किए गए समझौता ज्ञापन (एमओई) में एक मानक पूंजीगत व्यय को भी रखा गया है। इसके आधार पर सरकार प्रदर्शन का आकलन करती है और प्रदर्शन से जुड़े भुगतान के बारे में फैसला करती है।’प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) इन पीएसयू के पूंजीगत व्यय की निरंतर निगरानी करता है।
केंद्र सरकार इस समय पूंजीगत व्यय के माध्यम से अर्थव्यवस्था में रिकवरी पर ध्यान केंद्रित कर रही है क्योंकि निजी क्षेत्र से निवेश नहीं हो रहा है। 2022-23 के केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूंजीगत व्यय का आवंटन 35.4 प्रतिशत बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ रुपये करने की घोषणा की थी। महालेखा नियंत्रण के हाल के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 23 में अप्रैल अगस्त के दौरान केंद्र सरकार अपने पूरे साल के लक्ष्य का महज 33.7 प्रतिशत खर्च कर पाई थी।
वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 28 बैंकों व वित्तीय संस्थानों ने सक्रियता से परियोजनाओं को 403 परियोजनाओं का वित्तपोषण किया। वहीं 2022-21 के दौरान महज 220 परियोजनाओं का वित्तपोषण किया।
हालांकि वित्त वर्ष 2022 के दौरान 1.4 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं का वित्तपोषण हुआ, जबकि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान कोविड-19 के कारण महज 75,558 करोड़ रुपये दिए गए थे। हालांकि यह अभी कोविड पूर्व के वित्त वर्ष 20 के 2 लाख करोड़ रुपये के स्तर से नीचे बना हुआ है।
पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निजी क्षेत्र के भारतीय उद्यमियों द्वारा पूंजीगत व्यय न करने को लेकर आश्चर्य जताया था, जबकि सरकार ने कॉर्पोरेट कर में कटौती की, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना सहित अन्य राजकोषीय कदम उठाए।
भारतीय रिजर्व बैंक नए अपनी अगस्त की मासिक समीक्षा में कहा था निजी कॉर्पोरेट बैलेंस शीट में सुधार, क्षमता के उपयोग का स्तर बढ़ने, तेज मांग की धारणा, उच्च पूंजीगत व्यय और सरकार द्वारा उठाए गए तमाम नीतिगत पहल के कारण निजी क्षेत्र से निवेश चक्र बहाल होने की संभावना है।
इसमें कहा गया है, ‘भारत में निजी क्षेत्र के निवेश की गतिविधि के नजदीक के परिदृश्य के दृष्टिकोण का अनुमान निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र की परियोजनाओं के निवेश प्रस्ताव से लगाया जाता है। कारोबार संबंधी गतिविधियां बहाल होने और मांग में सुधार होने से 2021-22 के दौरान नई परियोजनाओं की घोषणा में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।’
