मंदी की मार से बीमार पड़े छोटे और मझोले उद्योग (एसएमई) के इलाज के लिए सिडबी ने भी कमर कस ली है।
वह इन्हें 1000 करोड़ रुपये की मोटी खुराक देने की योजना बना रही है। भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) अपनी सहयोगी सिडबी वेंचर कैपिटल लिमिटेड के जरिये यह खुराक मुहैया कराएगी। आगामी हफ्तों में इस राशि के मंजूरी की घोषणा की जा सकती है।
सिडबी नई परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी को भी लाने की योजना बना रही है। सिडबी के उप प्रबंध निदेशक राकेश रेवाड़ी ने बताया, ‘सिडबी मात्र 200 करोड़ रुपये मुहैया कराएगी। बाकी की रकम बैंक और बीमा कंपनियां उपलब्ध कराएगी। यह कोष जल्द ही सिडबी के पास मंजूरी के लिए लाया जाएगा। इस राशि से टेक्सटाइल, सॉफ्टवेयर, इंजीनियरिंग, दवा उद्योग और कृषि प्रसंस्करण से जुड़ी एसएमई को मदद दी जाएगी। ‘
सिडबी, एसएमई परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी नाम से एक नई कंपनी लॉन्च करने जा रही है, जो बीमार एसएमई उद्योगों को ठीक करने के लिए वित्तीय मदद मुहैया कराएगी। इस नई कंपनी का मुख्यालय मुंबई में होगा। सिडबी के मुख्य महाप्रबंधक पी. रुद्रण इस कंपनी के अध्यक्ष होंगे।
बुनकरों पर भी हुई मेहरबानी
बुनकरों एवं दस्तकारों के जीवन, सामाजिक और आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के प्रयासों के उद्देश्य से सरकार ने 420 करोड़ रुपये के खर्च से छह क्षेत्र-विशेष क्लस्टर स्थापित करने को मंजूरी दे दी।
हैंडलूम क्लस्टर वाराणसी और असम के शिवसागर में, पावरलूम क्लस्टर महाराष्ट्र के भिवंडी और तमिलनाडु स्थित इरोड में बनेगा। हस्तशिल्प के लिए उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद एवं आंध प्रदेश के नरासापुर में क्लस्टर बनाया जाएगा। प्रत्येक क्लस्टर 70 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर विकसित किया जाएगा।