सोनी पिक्चर्स नेटवक्र्स इंडिया (सोनी) और ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज (ज़ी ) के सौदे को सकारात्मक रूप से देखा जा रहा है, क्योंकि नकद का अंतप्र्रवाह, सोनी द्वारा ज़ी के निदेशक मंडल का नियंत्रण और कई तालमेल मध्य अवधि के दौरान इस विलय वाली इकाई के मूल्यांकन के संबंध में नजर आ सकते हैं।
हालांकि नियामकीय और शेयरधारकों की मंजूरी, जो किसी भी सौदे का अंतिम चरण होती है, को करीब आठ महीने लगने की संभावना है, लेकिन अधिकांश शर्ते मोटे तौर पर सितंबर की घोषणा के अनुरूप होने से विलय के बारे में अनिश्चितता दूर हो जाती है। विलय वाली इकाई के संबंध में प्रशासनिक चिंताओं और प्रवर्तक के नियंत्रण पर भी ध्यान दिया गया है।
पहले सौदे में घोषणा की गई थी कि ज़ी में इसके संस्थापक प्रवर्तकों की 3.99 प्रतिशत हिस्सेदारी संभावित रूप से बिना किसी पूर्व शर्त के 20 प्रतिशत तक जा सकती है। प्रवर्तकों के पास ओपन एंडेड विकल्प उपलब्ध थे और इन्हें खुली बाजार खरीद या तरजीही निर्गम के जरिये किया जा सकता था। इस नए सौदे में भी ज़ी के प्रवर्तकों की 3.99 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी, लेकिन हिस्सेदारी बढ़ाने के तरीके पर चिंताओं पर विराम लगा दिया गया है। इस घोषणा में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि यह सौदा ज़ी के प्रवर्तकों (संस्थापकों) को सोनी ग्रुप, संयुक्त कंपनी या किसी अन्य पक्ष से संयुक्त कंपनी की इक्विटी हासिल करने के लिए कोई प्री-एम्प्टीव या अन्य अधिकार प्रदान नहीं करता है। इसका अर्थ यह है कि ज़ीके प्रवर्तकों को बाजार आधारित मूल्य पर अपनी हिस्सेदारी 20 प्रतिशत तक बढ़ानी पड़ेगी।
हालांकि पुनीत गोयनका इसके प्रबंध निदेशक के रूप में बने रहेंगे, लेकिन ब्रोकरेज फर्म क्रेडिट सुइस का मानना है कि यह समझौता विलय वाली इकाई के निदेशक मंडल मेंं अधिकांश निदेशकों की नियुति और प्रवर्तकों द्वारा हिस्सेदारी बढ़ाने को लेकर अधिमान्य अधिकार नहीं मिलने के संबंध में सोनी प्रशासनिक चिंताओं पर ध्यान देता है। इस विलय के बाद सोनी के पास 50.86 प्रतिशत हिस्सेदारी हो जाएगी।
निवेशकों के लिहाज से अन्य चिंता प्रवर्तकों (सुभाष चंद्रा) और विलय वाली नई इकाई के हितों का ओवरलैप होना थी। सोनी गैर-प्रतिस्पर्धा करार के तहत प्रवर्तक इकाई एस्सेल मॉरीशस को 1,101 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी। ज़ी के प्रवर्तक (सुभाष चंद्र) ने इस बात का संकेत दिया है कि एस्सेल ग्रुप डिजिटल क्षेत्र में निवेश करेगा। अलबत्ता ज़ी ने इससे पहले कहा था कि शायद कोई टकराव न हो, क्योंकि ज़ी डिजिटल मनोरंजन के क्षेत्र में है, जबकि परिवार के स्वामित्व वाली इकाई अन्य डिजिटल संपत्तियों पर विचार कर रही होंगी। ये सौदे मध्य अवधि में चिंताओं से संबंधित हैं, जबकि विलय वाली इकाई (53,000 करोड़ रुपये मूल्य) की तालमेल करने की क्षमता, ओवर दी टॉप या ओटीटी की पेशकश बढ़ाने और मार्जिन में सुधार करना मूल्यांकन का एक प्रमुख परिचालक होगा।
