गुजरात में लघु एवं मझोले उद्योग (एसएमई) प्रौद्योगिकी की राह पर चल पड़े हैं। गुजरात बड़ी संख्या में लघु उद्योगों का गढ़ बना हुआ है।
ईआरपी सॉल्युशन प्रदाता सैप इंडिया प्राइवेट लिमिटेड राज्य में अपनी भागीदारी बढ़ाने की विशेष पहल कर रही है। भारतीय उप-महाद्वीप के लिए सैप के उपाध्यक्ष (एसएमई एंड चैनल्स) देब दीप सेनगुप्ता ने कहा, ‘गुजरात में रसायन, प्रक्रिया निर्माण, रत्न एवं आभूषण, वाहन कलपुर्जा जैसे कई बाजारों में सक्रिय हैं। हम राज्य में इन सेगमेंट में बड़ी संभावनाएं देख रहे हैं।’
सैप की योजना ईआरपी सॉल्युशंस के लिए स्वामित्व की कुल लागत (टीसीओ) में कमी लाकर कंपनियों की मदद करने की है। सेनगुप्ता ने बताया कि सैप गुजरात के बाजार में अपने दो नए उत्पादों ‘ए1 फास्ट ट्रैक’ और ‘बिजनेस बाई डिजाइन’ को जल्द ही पेश करने की तैयारी कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘अधिकांश ग्राहक लागत घटाने के लिए उपयुक्त सॉल्युशन की संभावना तलाश रहे हैं जो उत्पादन, संचालन और अन्य लागत को अनुकूल बनाएगा। हमने प्रत्येक ग्राहक की बिजनेस रणनीति को समझने की कोशिश की है और उसी के आधार पर विशेष रूप से तैयार उत्पादों की पेशकश की है।’ आईबीएम, विप्रो और सत्यम जैसी कंपनियां पहले ही सैप के साथ भागीदारी कर चुकी हैं।
कंपनी गुजरात में अपनी मौजूदगी बढ़ाने की योजना बना रही है। सेनगुप्ता ने कहा कि सैप ऐसी कई और कंपनियों के साथ करार कर अपना भागीदारी-आधार बढ़ाने की योजना बना रही है। इसके अलावा सैप प्रशिक्षण केंद्रों में निवेश के जरिये स्थानीय क्षमता निर्माण की भी योजना बना रही है।
सेनगुप्ता ने निवेश का ब्योरा देने से इनकार करते हुए कहा, ‘अपने मौजूदा और नए ग्राहकों को ध्यान में रख कर हमारी योजना गुजरात में कई और प्रशिक्षण केंद्र खोलने की भी है।’ सैप ने एसएमई सेगमेंट में अब तक राजकोट में बालाजी वैफर्स प्राइवेट लिमिटेड, वडोदरा में सांघवी फॉर्जिंग ऐंड जायडेक्स केमिकल, सूरत में स्पैन डायग्नोस्टिक्स और अहमदाबाद में जय हिंद प्रोजेक्ट्स और कॉरटेक समेत 30 करोड़ रुपये और 400 करोड़ रुपये के बीच कारोबार वाली कई कंपनियों से ठेके हासिल किए हैं।
1.5 करोड़ रुपये में सैप उत्पादों को खरीदने वाली बालाजी वैफर्स प्राइवेट लिमिटेड में उत्पादन प्रबंधक हितेश विराणी ने कहा, ‘हमें लागत में तकरीबन 2-3 फीसदी की गिरावट आने की संभावना है जो हमारी जैसी कंपनियों के लिए एक बड़ा फायदा होगा।’