मध्य प्रदेश में दवाओं का मिश्रण एक आकर्षक कारोबार है। राज्य में 50 से भी अधिक लघु एवं मझोले उद्योग (एसएमई) एक छोटी सरकारी संस्था एमपी लघु उद्योग निगम से मिलने वाले आपूर्ति ठेकों से फल-फूल रहे हैं।
मध्य प्रदेश के दतिया जिले के असर गांव के एक छोटे उद्यमी राधा शरण गोस्वामी ने 1977 में एक छोटी फर्म हिन्द फार्मा के साथ अपना कारोबार शुरू किया था। यह कारोबार भोपाल के गोविंदपुर औद्योगिक इलाके में शुरू किया गया था।
उन्होंने वर्ष 2006 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में संभावना तलाशनी शुरू कर दी। दो साल के अंदर ही उन्होंने अपना बिक्री आधार काफी विस्तृत कर लिया और अपने निर्यात लक्ष्य में भी इजाफा करने की योजना बनाई है।
वे अन्य कई देशों में वितरण नेटवर्क स्थापित करने के लिए कुछ जानी-मानी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे तीन साल के अंदर 75 और कर्मियों की जरूरत है।’
2006 में उन्होंने सरकारी निविदाओं से दूर रहने का फैसला कर लिया और उन्हें भोपाल में एक नई दवा इकाई स्थापित करने के लिए पंजाब नेशनल बैंक से 2 करोड़ रुपये का ऋण मिल गया। यह इकाई सीजीएमपी (मौजूदा सामान निर्माण कार्य प्रणालियों) मानकों के अनुरूप थी।
शुरू में उन्होंने अपने हुनर का इस्तेमाल विभिन्न अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त व्यापार मेलों में किया और इस तरह से वे विभिन्न कंपनियों से संपर्क बढ़ाने में सफल रहे। 1982 और 1999 में दो बार मंदी का सामना करने के बाद सरकारी दस्तावेजों की प्रक्रिया में उन्हें कठिनाई का सामना करना पड़ा।
उनकी छोटी फर्म को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एकीकरण कारोबार के लिए सरकारी निविदाओं से अलग कर दिया गया। गोस्वामी कहते हैं, ‘अब मैं एमपी लघु उद्योग निगम की ओर से जारी किए जाने वाली सरकारी निविदाओं में भाग नहीं लेता। यह सिर्फ पैसे और समय की बर्बादी है।’
अब वे अपने बाजार मंच को बढ़ाने और विदेशों में विभिन्न कंपनियों के साथ नए संपर्क बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। वे कहते हैं कि यदि आप अपने ईमेल-जवाब के लिए अपने कम्प्यूटर और मोबाइल स्क्रीन पर ही चिपके हुए हैं तो आप कारोबार में नुकसान उठा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘मैं ऐसी किसी कंपनी के साथ सौदा नहीं करता जो हमारी उपेक्षा करती हो। मैं और मेरे ग्राहकों के बीच संदेह के लिए कोई जगह नहीं है।’ 30 से भी अधिक देशों की यात्रा करने के बाद गोस्वामी अब अल्जीरिया, तुर्की, सूडान और यूक्रेन के नए बाजारों में संभावनाएं तलाश रहे हैं।
मध्य प्रदेश में उनकी एकमात्र एसएमई कंपनी है जो ब्रिटेन सरकार द्वारा सख्त मानकों पर खतरा उतर कर अपने उत्पादों को ब्रिटेन के लिए निर्यात करती है।
लेकिन मौजूदा मंदी का सामना करने के लिए उनके पास कोई विशेष रणनीति नहीं है। वे उच्च ब्याज दरों के कारण कम मार्जिन के साथ कारोबार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘वैश्विक मंदी ने भारतीय कंपनियों को प्रभावित नहीं किया है, लेकिन महंगे बैंक ऋण की वजह से हर साल हमारे जैसे सैकड़ों उद्यमियों को रुग्ण बना दिया है।
हमारे राज्य या भारत में सामान्यतया एसएमई केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा मुहैया कराई जाने वाली सब्सिडी और अन्य सुविधाएं मुश्किल से ही हासिल कर पाते हैं। यदि सरकारें अपने वादों पर अमल करें तो भारत में लघु एवं मझोले उद्योग किसी भी तरह की मंदी की उपेक्षा कर सकते हैं।’