बीएस बातचीत
वैश्विक केंद्रीय बैंकों की सख्त नीतियों और देश में महामारी की तीसरी लहर की आशंका से भारतीय इक्विटी में विदेशी प्रवाह धीमा पड़ा है। किमेंग सिक्योरिटीज इंडिया के कार्याधिकारी जिगर शाह ने पुनीत वाधवा को दिए साक्षात्कार में बताया कि तीसरी लहर का खतरा समाप्त होने पर भारतीय बाजारों में विदेशी प्रवाह बढ़ सकता है। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
अमेरिकी फेड का रुख अब स्पष्ट है। अगले वर्ष के दौरान वैश्विक वित्तीय बाजारों की राह कैसी रह सकती है?
अमेरिकी फेडरल के नीतिगत कदम जल्द या बाद में, सभी अन्य केंद्रीय बैंकों द्वारा दोहराए जाएंगे। तरलता सख्ती और दर वृद्घि के संकेत स्पष्ट हैं। आय अनुमानों का ऊंची ब्याज दरों से जोखिम में पूरी तरह से असर नहीं दिखा है। पारिश्रमिक वृद्घि दर्ज की जा रही है, जिससे भी सभी क्षेत्रों, खासकर सेवा क्षेत्र में आय पर दबाव बढ़ सकता है। सेवा क्षेत्र का भारत की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है।
अब अगले 12 महीनों के दौरान भारतीय बाजारों को आप किस नजरिये से देख रहे हैं?
हमारा निफ्टी-50 लक्ष्य 14,700 है, जो 20 गुना के एक वर्षीय पीई अनुपात पर आधारित है, जो दीर्घावधि औसत के मुकाबले 10 प्रतिशत ज्यादा है। मुख्य आय वृद्घि चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
आय को लेकर निराशा और पीई रेटिंग में कमी, दोनों के संदर्भ में दबाव बना हुआ है। यदि कोविड संक्रमण की तीसरी लहर भी दूसरी जैसी खतरनाक रही तो बाजार कम अस्थिरता वाले ब्लू चिप के लिए पसंद के साथ काफी हद तक धु्रवीकृत रह सकता है। हालांकि कई निचले स्तर पर अवसर और थीमों पर लंबी अवधि के लिहाज से विचार किया जा सकेगा।
क्या आप शेयर प्रतिफल देख रहे हैं?
कई तरह की अनिश्चितताओं के बीच, इक्विटी प्रवाह उन क्षेत्रों में बना रहेगा जो आय गुणवत्ता या हालात के लिहाज से अनुकूल हैं। हम आईटी सेवा, दूरसंचार और दूरसंचार सहायक, ट्रैक्टर, फार्मास्युटिकल/हेल्थकेयर, और उपभोक्ता व्यवसायों को लगातार पसंद कर रहे हैं। ईएसजी पर विशेष रणनीति वाले व्यवसायों में निवेशक दिलचस्पी बढ़ सकती है। वहीं अक्षय ऊर्जा, पुनर्चक्रण, सर्कुलर अर्थव्यवस्था, ग्रीन हाइड्रोजन और ऊर्जा दक्षता जैसे क्षेत्र वृद्घि दर्ज कर सकते हैं।
क्या लार्ज-कैप श्रेणी अब सुरक्षित विकल्प बनी रहेगी?
बाजार में अतिरिक्त तरलता घटने से, स्मॉल-कैप 50 करोड़ डॉलर के आकार से नीचे पहुंच गया है और इस वजह से इसमें रेटिंग प्रभावित हो सकती है। कई शेयरों में अपने ऊंचे स्तरों से बड़ी गिरावट आई है। अच्छे प्रशासन, आय और विवादों से अलग कुछ खास स्मॉल-कैप और मिड-कैप को संस्थागत पोर्टफोलियो में जगह मिल सकती है। उपयुक्त वैल्यू वाले लार्ज-कैप मौजूदा समय में पसंदीदा बने हुए हैं।
इसे लेकर उम्मीद पैदा हुई है कि भारत 2022 में प्रमुख बॉन्ड सूचकांकों में शामिल हो सकता है। क्या आपको ऐसा होने की संभावना है?
कुछ समय से इसकी उम्मीद है और शायद महामारी की वजह से इसमें विलंब हुआ। यदि भारत वैश्विक बॉन्ड सूचकांक में शामिल होता है तो पूंजी प्रवाह सालाना 20-25 अरब डॉलर हो सकता है। हालांकि बॉन्ड निवेशकों को नियंत्रित वित्तीय घाटे, कम मुदास्फीति, और स्थिर मुद्रा जैसे पहलुओं पर ध्यान देने की जरूरत होगी।
क्या मूल्यांकन और आर्थिक प्रगति विदेशी निवेशकों को अन्य उभरते बाजारों के मुकाबले भारत के प्रति ज्यादा आकर्षित कर रही है?
मौजूदा समय में हम अन्य ईएम की तर्ज पर बड़ी पूंजी निकासी दर्ज कर रहे हैं, लेकिन भारत विदेशी निवेशकों का हमेशा से पसंदीदा रहा है, जिसमें बाजार का आकार और उसकी संभावित वृद्घि, चयन के लिए शेयरों/क्षेत्रों के प्रकार, अच्छी गुणवत्ता के प्रबंधन आदि मुख्य रूप से शामिल हैं।
क्या बाजारों के लिए छोटे निवेाशकों का उत्साह 2022 में भी बना रहेगा?
छोटे निवेशकों के उसाह को आसान टेक्नोलॉजी और महामारी के दौरान वर्क फ्रॉम परिवेश से मदद मिली थी। इसके साथ साथ पिछले 12-15 महीनों में आसान तरलता और आसान प्रतिफल से भी उनके लिए राह आसान हुई। उनका रुझान किप्टो और जिंस कारोबार समेत सभी परिसंपत्ति वर्गों में बढ़ा है। वर्ष 2022 में छोटे निवेशकों की भागीदारी कुछ धीमी पड़ सकती है, क्योंकि तरलता-केंद्रित आसान पूंजी कारोबार फिर से दोहराए जाने की संभावना कम दिख रही है।