नैनो को लपकने के लिए तमाम राज्य चाहे कितने भी उत्साहित हों और टाटा मोटर्स चाहे पश्चिम बंगाल के सिंगुर से अपने उपकरण भी हटा रही हो, लेकिन वामपंथी राज्य बंगाल को अब भी नैनो से कुछ आस है।
राज्य में कई धड़े ऐसे भी हैं, जिन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी है और वे नैनो को यहीं रोकने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए वे किसी नए पैकेज की बात कर रहे हैं।
हालांकि इस पैकेज के ब्यौरे के बारे में अभी कोई खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन यह जरूर पता है कि उसमें अधिग्रहीत जमीन के बदले ज्यादा मुआवजा देने की बात है।
इसके अलावा बरगादार यानी पंजीकृत बटाईदारों को ज्यादा अनिवार्य मजदूरी देना और गैर पंजीकृत बटाईदारों और खेतिहर मजदूरों को भी ज्यादा पैसे देने की बात शामिल है।
सूत्रों के मुताबिक टाटा मोटर्स को भी सिंगुर की समस्या के समाधान में शामिल करने की बात कही गई है।मूल रूप से किसानों को उनकी एक एकड़ जमीन के बदले 9 से 12 लाख रुपये देने की बात कही गई थी।
राज्य सरकार ने इसमें 50 फीसद इजाफा भी किया था, जिसकी पेशकश 14 सितंबर को की गई थी। लेकिन अब नए पैकेज में प्रति एकड़ दोगुनी राशि देने की बात कही जा रही है।
दरअसल इस इलाके में जमीन की जो कीमत चल रही है, सरकार किसानों को उससे आधी राशि ही मुआवजे के रूप में दे रही थी और इसी वजह से यहां संकट खड़ा हो गया था।
लेकिन नए पैकेज में मुआवजा दोगुना करने से किसानों को जमीन की वही कीमत मिल जाएगी, जो इलाके में चल रही है।इसी तरह सरकार ने 14 सितंबर के पैकेज में खेतिहर मजदूरों को 300 दिन की मजदूरी देने की बात कही थी।
लेकिन नए पैकेज में इसे भी बढ़ाकर 1000 दिन किया जा रहा है। इसके अलावा रोजी रोटी चलाने के लिए अगर गांव वाले उपकरण वगैरह खरीदकर कुछ नया काम शुरू करना चाहेंगे, तो उन्हें ऋण देने पर भी विचार किया जा सकता है।
