रैनबैक्सी लैबोरेटरीज में अपनी हिस्सेदारी जापानी दवा दिग्गज दायची सांक्यो को बेचने के बाद रैनबैक्सी समूह का प्रमोटर सिंह परिवार नकदी से लबरेज है।
इस नकदी का इस्तेमाल वह समूह की वित्तीय सेवा कंपनी रेलिगेयर एंटरप्राइजेज में अपनी हिस्सेदारी 54 फीसद से बढ़ाकर 73 फीसद करने की फिराक में है। इसके लिए प्रमोटर मालविंदर मोहन सिंह और शिविंदर मोहन सिंह जल्द ही कंपनी में 1802 करोड़ रुपये का निवेश कर सकते हैं।
रेलिगेयर एंटरप्राइजेज अपने राइट्स इश्यू लाने जा रही है, जिसके जरिये वह 1802 करोड़ रुपये जुटाएगी। कंपनी ने इसके लिए इश्यू की कीमत 355 रुपये प्रति शेयर रखी है, जो मौजूदा बाजार भाव से ज्यादा है। कंपनी के शेयरों का मौजूदा भाव 325 रुपये प्रति शेयर है।
बाजार की खस्ता हालत के मद्देनजर यह कदम बेहद हिम्मत भरा है क्योंकि राइट्स इश्यू के मामले में टाटा मोटर्स और हिंडाल्को भी मात खा चुकी हैं। दोनों कंपनियों ने अपने राइट्स इश्यू शेयर कीमत के मुकाबले तकरीबन 30 फीसद कम मूल्य पर बाजार में पेश किए थे, लेकिन उन्हें भी लेने वाला कोई नहीं मिला।
ऐसे में रेलिगेयर के लिए आम निवेशक की ओर से खरीदारी किया जाना बेहद मुश्किल लगता है। टाटा मोटर्स, नाल्को, हिंडाल्को के बाद सुजलॉन एनर्जी तो अपना राइट्स इश्यू टाल ही चुकी है। लेकिन रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने इस लीक पर चलने से इनकार कर दिया है।
रेलिगेयर एंटरप्राइजेज वित्तीय क्षेत्र की कंपनी है। टाटा मोटर्स और हिंडाल्को को राइट्स इश्यू के जरिये उगाही रकम अपने विस्तार के लिए चाहिए थी, लेकिन रेलिगेयर के साथ ऐसा नहीं है। सूत्रों के मुताबिक रेलिगेयर को पूंजी की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि प्रमोटर परिवार के पास खासी रकम है।
दरअसल इस राइट्स इश्यू का इस्तेमाल हिस्सा बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। इस रकम का इस्तेमाल बीमा जैसे नए कारोबारों में हो सकता है। कंपनी के एक प्रवक्ता ने बताया कि रेलिगेयर के निदेशक मंडल ने राइट्स आधार पर शेयर जारी कर 1,802.48 करोड़ रुपये जुटाने के लिए राइट्स इश्यू की योजना को अमली जामा पहनाने पर आज हरी झंडी दे दी।
राइट्स इश्यू 2:3 के अनुपात में जारी किए जाएंगे और उनकी कीमत 355 रुपये प्रति शेयर तय की गई है। प्रवक्ता ने यह भी बताया कि राइट्स इश्यू का जो भी हिस्सा बच जाएगा, उसे प्रमोटर परिवार खुद ही खरीद लेगा। इस पेशकश के मसौदे का पत्र इसी वर्ष दिसंबर के पहले हफ्ते में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास जमा करने की योजना है।