भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने श्रेय इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनैंस और श्रेय इक्विपमेंट फाइनैंस के निदेशक मंडल को आज बर्खास्त कर दिया। विभिन्न भुगतान बाध्यताओं को पूरा करने में विफल रहने और संचालन की खामियों के कारण आरबीआई ने यह कदम उठाया है और इसे दिवालिया कार्रवाई का सामना करना होगा।
यह दूसरी वित्तीय फर्म है जिसके निदेशक मंडल को आरबीआई ने बर्खास्त किया है। इससे पहले इसी तरह के एक मामले में डीएचएफएल के खिलाफ कार्रवाई की गई थी और समाधान प्रक्रिया के तहत अब यह कंपनी पीरामल एंटरप्राइजेज का हिस्सा बन चुकी है।
अनुमान के मुताबिक श्रेय में बैंकों के करीब 28,000 करोड़ रुपये और बॉन्ड धारकों के 18,000 करोड़ रुपये फंसे हैं। विश्लेषकों को अनुमान है कि समाधान प्रक्रिया में लेनदारों को भारी नुकसान उठाना होगा। श्रेय के प्रवक्ता ने कहा कि वे इस कदम से स्तब्ध हैं और सभी कानूनी विकल्पों का सहारा लेंगे। आरबीआई ने बैंक ऑफ बड़ौदा के पूर्व मुख्य महाप्रबंधक रजनीश शर्मा को कंपनी का प्रशासक नियुक्त किया है। शर्मा आईबीसी के तहत दोनों गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के समाधान की प्रक्रिया जल्द ही शुरू करेंगे। ऋणशोधन अक्षमता एवं समाधान पेशेवर की नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट में भी आवेदन किया जाएगा।
आरबीआई ने प्रशासक को सलाह देने के लिए तीन सदस्यीय परामर्श समिति भी नियुक्त की है। इस समिति के सदस्यों में इंडियन ओवरसीज बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी आर सुब्रमण्यकुमार, सुंदरम फाइनैंस के पूर्व प्रबंध निदेशक टीटी श्रीनिवास राघवन और टाटा संस के पूर्व मुख्य परिचालन अधिकारी फारुख एन सूबेदार शामिल हैं। सुब्रमण्यकुमार डीएचएफएल के भी प्रशासक थे।
श्रेय के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम आरबीआई के कदम से स्तब्ध हैं क्योंकि बैंक नियमित रूप से श्रेय के एस्क्रो खाते से फंड का स्वीकरण कर रहे थे। यह खाता नवंबर 2020 से उनके नियंत्रण में है। हमें बैंकों से चूक को लेकर भी कोई जानकारी नहीं मिली है।’
प्रवक्ता के मुताबिक श्रेय ने अक्टूबर 2020 में कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 230 के अंतर्गत एक योजना के तहत बैंकों को पूरी राशि के भुगतान का प्रस्ताव रखा था। बैंकों ने न तो उसे स्वीकार किया न ही कोई स्वीकार्य भुगतान की रूपरेखा सामने रखी। नवंबर 2020 से कंपनी के नकद लेनदेन पर बैंकों का नियंत्रण है।
